जयपुर। जमाअते इस्लामी हिन्द की ओर से देश भर में ”मुस्लिम पर्सनल लाॅ बेदारी मुहिम“ चलाई जा रही है जिसके तहत आज मुस्लिम मुसाफिरखाने में जमाअते इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना नुसरत अली ने जाग्रति अभियान की शुरुआत की. जमाअते इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना नुसरत अली ने मुस्लिम पर्सनल लाॅ जाग्रति अभियान की शुरुआत करते हुए बताया कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ इस्लामी पारिवारिक क़ानूनों को कहा जाता है,जो वास्तव में इस्लाम के मूल स्रोतों – क़ुरआन व सुन्नत (अन्तिम ईशदूत ह. मुहम्मद स. का जीवन चरित्र)  से लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि मुस्लिम समुदाय की मांग पर ब्रिटिश सरकार न सन् 1937 में ‘शरीअत एप्लीकेशन एक्ट’ बनाया था जिसके अनुसार, यदि निकाह, तलाक़, विवाह विच्छेद, विरासत आदि से सम्बंधित किसी पारिवारिक वाद में दोनों पक्ष मुस्लिम हों तो उनका फैसला शरीअत के अनुसार किया जाएगा चाहे उनके स्थानीय रीति-रिवाज कुछ भी हों।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदि ने जमाअते इस्लामी हिन्द के अभियान की सराहना करते हुए बताया कि इस समय मुस्लिम समाज के बहुत से लोग मुस्लिम पर्सनल लाॅ से अनभिज्ञ हैं जिसके कारण एक समय में तीन तलाक़, बेटियों को विरासत में हिस्सा न देना, महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखना आदि समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और इस्लाम विरोधी शक्तियाँ इसका लाभ उठा कर इस्लाम और उसके पर्सनल लाॅ की न्यायसंगतता पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इस पर रोक लगाने या परिवर्तन करने की मांगें भी उठ रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि क़ुरआन एवं सुन्नत में किसी भी परिवर्तन की न तो गुंजाइश है और न ही सम्भावना। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के इस्लाम विरुद्ध आचरण से आमजन भ्रमित हो जाते हैं और उसी को इस्लाम समझ लेते हैं। उन्होंने इस आवश्यकता पर बल किया कि मुसलमानों को अपने मामले शरई पंचायतों या दारुल क़ज़ा जैसी संस्थाओं के माध्यम से हल करने चाहिएं जिससे अदालतो पर से भी भार कम होगा। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्या यास्मीन फारूखी ने कहा कि देश भर में इस्लाम की ग़लत छवि बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस्लामी क़ानून पूरी तरह प्रकृति के अनुकूल और न्याय संगत हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ नैतिकता और आपसी प्रेम, न्याय एवं संतुलन का विधान है जो पारिवारिक जीवन को ख़ुशियों से भर देता है, स्वस्थ परिवार को अस्तित्व प्रदान करता है और एक आदर्श एवं पवित्र समाज का निर्माण करता है साथ ही यह महिलाओं की अस्मिता, गरिमा, उनके अधिकारों के साथ ही उनकी नैसर्गिक स्वतंत्रता का भी रक्षक है। जमाअत के प्रदेशाध्यक्ष इन्जीनियर ख़ुर्शीद हुसैन ने बताया कि अभियान का उद्देश्य प्रथमतः मुसलमानों को अपने पारिवारिक क़ानूनों से भली-भांति अवगत कराना है ताकि वे उनके अनुसार अपने घरेलू मामलों को हल करने लगें तथा अपने जीवन को शरीअत के अनुरूप बनाने का प्रयास करने लगें, दूसरी ओर वहीं हमारे देशवासी जो अभी तक मुस्लिम पर्सनल लाॅ से या तो अनभिज्ञ हैं या उन्हें मीडिया तथा अन्य अप्रामाणिक माध्यमों से भ्रांतिपूर्ण जानकारी मिली है, वे भी मुस्लिम पर्सनल लाॅ की वास्तविकता और उसकी न्यायसंगतता से अवगत हो जाएं। इस अवसर पर जयपुर शहर मुफ़्ती मोण्ज़ाकिर, राजस्थान मुस्लिम फोरम कन्वीनर क़ारी मोईनुद्दीन, जमाअत जयपुर ज़िलाध्यक्ष वक़ार अहमद आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

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