जयपुर। राजस्थान सरकार ने मनोज भट्ट के रिटायर मेंट के बाद अजित सिंह को राज्य का डीजीपी बनाया है। इसके पीछे सरकार की मंशा साफ थी कि आनन्दपाल एनकाउंटर में राजपूत समाज जो कि सरकार से काफी खफा है और सरकार का बहिष्कार करने की धमकी भी दे चुका है। उसे साधने के लिए सरकार ने राजपूत अफसर अजित सिंह को को डीजीपी बनाने का मास्टर स्ट्रोक खेला है, मगर लगता है सरकार का यह दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। अजित सिंह को डीजीपी बनाए जाने के बाद सोशल मीडिया पर राजपूत समाज ने उन्हें डीजीपी बनाए जाने के विरोध में जमकर भड़ास निकाली है। इनमें से कई लोग तो राजस्थान से बाहर के हैं जो सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर जमकर सरकार को कोस रहे हैं।

जिससे सरकार को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा कि उनका यह दांव सही है या गलत हालांकि इसमें कोई शक नहीं की अजित सिंह एक काबिल अफसर है और आनन्दपाल मामले को उन्होंने जिस तरह सम्भाला उससे उन्हें राजपूत समाज की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। मगर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे काबिल अफसर नहीं है। गौरतलब है कि डीजीपी अजित सिंह का कार्यकाल सिर्फ 4 माह का ही रहेगा। इसके बाद वे रिटायर हो जाएंगे और उनकी किसी दूसरे अफसर को डीजीपी बनाया जाएगा। मगर उन्हें इतने कम समय के लिए डीजीपी बनाए जाने के पीछे सरकार मकसद हो सकता है कि वह राजपूत समाज की नब्ज टटोलना चाहती हो कि अजित सिंह को डीजीपी बनाए जाने के बाद में राजपूत समाज की क्या प्रतिक्रिया होगी। और अब देखिए सोशल मीडिया पर राजपूत समाज ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वह किसी भी हालत में सरकार के और उसके निर्णयों के पक्ष में नहीं है।

LEAVE A REPLY