एडवोकेट अजय कुमार जैन की रिट पर हाईकोर्ट ने एसीबी डीजीपी को तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा, रॉक फास्फेट अयस्क खदान को मिलीभगत से निजी कंपनी वेदांता को दिए जाने के मामले में अनुसंधान नहीं करने का मामला
जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित खान घोटाले में गिरफ्तार वरिष्ठ आईएएस अशोक सिंघवी से जुड़े एक अन्य 600 करोड़ रुपए के खान घोटाले में राजस्थान हाईकोर्ट ने एसीबी राजस्थान के डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है। न्यायाधीश वी.के.व्यास ने तीन सप्ताह में इस घोटाले में दर्ज प्राथमिकी की अनुसंधान रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यह आदेश एडवोकेट अजय कुमार जैन की क्रिमिनल पीटिशन पर यह आदेश दिया है। अजय कुमार जैन ने याचिका में बताया है कि राजस्थान में रॉक फास्फेट अयस्क की खानें सिर्फ सरकारी कंपनियों को ही अलॉट हो सकती है। वर्ष 1969 में भारत सरकार ने हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड जो भारत सरकार का उपक्रम था, उसे रॉक फास्फेट की खदानें अलॉट थी। बाद में मिलीभगत करके इन खदानों को वेदांता समूह ने अपने पक्ष में कर लिया। यह खदानें उदयपुर जिले में गिर्वा तहसील की मटून गांव में है। करीब 248 हेक्टेयर की खदान को पहले तो मिलीभगत से हिन्दुस्तान जिंक को दिया और फिर इसे निजी कंपनी वेदांता समूह के पक्ष में कर दिया गया, जबकि प्राइवेट कंपनी को यह खदान नहीं दी जा सकती थी। खान विभाग के अफसरों को पता चलने पर इसे निरस्त करवाने के लिए कहा। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट में भी यह मामला चला, लेकिन वहां भी गलत दस्तावेज और जवाब देकर वेदांता समूह को लाभ पहुंचा दिया गया। इस मामले में अपील भी नहीं की गई। बाद में एसीबी को गुप्त सूचना से इसके दस्तावेज मिले तो जांच में मिलीभगत करके वेदांता समूह को लाभ पहुंचाने और सरकार को करीब छह सौ करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का मामला प्रमाणित पाया गया। इस मामले में एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन वर्ष 2011 में दर्ज की गई प्राथमिकी में चालान पेश नहीं करने दिया। एसीबी ने अशोक सिंघवी, वेदांता समूह और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के अफसरों की मिलीभगत मानी और इनके खिलाफ चालान पेश करना चाहा, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया को रसूखों के चलते ठण्डे बस्ते में डलवा दिया गया। 2015 में एसीबी ने खान आंवटन घोटाले में अशोक सिंघवी व दूसरे लोगों को गिरफ्तार किया तो यह मामला भी सामने आया। एसीबी कोर्ट में परिवाद लगाकर इसमें अनुसंधान करवाने की गुहार की गई, लेकिन कोर्ट आदेश के बाद भी कोई अनुसंधान नहीं हुआ। इस पर एडवोकेट अजय कुमार जैन ने हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर की, जिसमें बताया कि एसीबी ने अपनी जांच में 600 करोड़ का घोटाला माना है। इसमें वेदांता समूह, हिन्दुस्तान जिंक और अशोक सिंघवी समेत अन्य की मिलीभगत मानी है। मामले में प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। आरोप प्रमाणित हो चुके हैं, लेकिन फिर भी अनुसंधान करके चालान पेश नहीं किया जा रहा है। जांच जहां की तहां पड़ी हुई है। मामले में अनुसंधान करवाने की गुहार की गई। जिस पर कोर्ट ने इस मामले में एसीबी डीजीपी से तीन सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है।

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