10-year-old innocent witness delivered to hanging

कानपुर । सरसैया घाट इलाके में वर्ष 2013 में हुए दो बच्चों के मर्डर के दोषी को बुधवार को अडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (एडीजे)-3 कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। सरकारी वकील राजेश्वर तिवारी के अनुसार, मामले का मुख्य गवाह एक बच्चा है, जो वारदात के वक्त 10 साल का था। वह अपने दोनों छोटे भाइयों की हत्या का चश्मदीद गवाह है। ट्रायल के दौरान उसने अदालत में वारदात का एक-एक स्टेप करके दिखाया था।

यह है केस- कोतवाली थाना क्षेत्र के सरसैया घाट पर रहने वाले राजेश मांझी के बेटे की 28 अगस्त, 2013 को बीमारी से मौत हो गई थी। राजेश को वहम था कि बेटे की मौत पड़ोसी टिंकू के परिवार के काला जादू करवाने के कारण हुई है। बदला लेने के लिए राजेश ने 29 अगस्त की सुबह अपने घर के सामने खेल रहे टिंकू के बच्चों साहिल (7) और कार्तिक (5) को दबोच लिया। इस दौरान टिंकू और उसकी पत्नी काम पर गए थे। राजेश ने दोनों की बेरहमी से गला रेत हत्या कर दी थी। मौके पर मौजूद टिंकू के बड़े बेटे गोलू (10) ने पूरा घटनाक्रम अपनी आंखों से देखा था। वह चिल्लाया, तो राजेश उसको भी मारने की नीयत से दौड़ा, लेकिन आस-पास के लोगों ने उसे बचा लिया था। कोतवाली पुलिस ने राजेश को चाकू के साथ गिरफ्तार किया था।

सोच-विचार के बाद किया मर्डर- डीजीसी (क्रिमिनल) राजेश्वर तिवारी के अनुसार, पुलिस ने राजेश के खिलाफ धारा-302 में हत्या की चार्जशीट फाइल की थी। 5 नवंबर, 2014 को कोर्ट में पहली गवाही हुई। डबल मर्डर के प्रत्यक्षदर्शी गोलू ने कोर्ट में एक्शन कर बताया कि कैसे राजेश ने उसके दोनों छोटे भाइयों को पकड़ने के बाद गिराया और उनके गले चाकू से रेत दिए। कोर्ट ने मासूम गोलू की गवाही को पर्याप्त माना। इसके अलावा 8 अन्य गवाहों ने भी अपने बयान दर्ज कराए थे। बीती 15 सितंबर को कोर्ट ने राजेश को दो हत्याओं का दोषी माना था। बुधवार को एडीजे-3 ज्योति कुमार त्रिपाठी ने सजा सुनाते हुए कहा, ‘यह जघन्यतम और क्रूरतम अपराध है। राजेश ने दो मासूम, असहाय और बेगुनाह बच्चों को मार दिया। वह देश-दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। राजेश ने सब कुछ सोच-विचार के बाद किया। वह बच्चों के खून से खेलना चाहता था। ऐसे मामलों में नरमी नहीं बरती जा सकती। इसलिए इसे विरलतम मानते हुए राजेश मांझी को सेक्शन-302 में फांसी की सजा सुनाई जाती है।’

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