• राकेश कुमार शर्मा
    जयपुर। लगता है जयपुर के पूर्व राजपरिवार से विवाद पीछा छोड़ नहीं पा रहे हैं। राजमहल होटल से सटी विवादित भूमि को अवाप्त करने और होटल के दरवाजों को सील करने का मामला बमुश्किल ठण्डा हुआ था कि अब अंदरखाने राजपरिवार से जुड़े विवादित मामलों की फाइलों से धूल साफ करवाकर बाहर निकलवाई जा रही है। चाहे वह जनानी ड्योढ़ी परिसर की फाइल हो या जलेब चौक परिसर पर कब्जा का मामला हो। उन जैसे सभी प्रकरणों की फाइलों को खंगाला जा रहा है। कुछ फाइलें राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन हैं तो कुछ कोर्ट कचहरियों में घूम रही है। इन सभी फाइलों की समीक्षा का कामकाज अंदरखाने तेजी से चल रहा है। इशारा होते ही ये मामले भी राजमहल की तर्ज पर बाहर आ सकती हैं, लेकिन इस बार पहले की तरह पूरी पडताल के बाद ही इन फाइलों को बाहर लाया जाएगा। अभी वर्तमान में सबसे अधिक चर्चा सवाई मानसिंह म्यूजियम परिसर में बनाई जा रही एक इमारत को लेकर है। बताया जाता है कि संग्रहालय परिसर में संचालित सिटी पैलेस स्कूल के लिए यह इमारत बनाई जा रही है। प्राइमरी स्तर का स्कूल वर्तमान में संग्रहालय परिसर के पुराने भवन में ही चल रहा है। अब इसे महानिदेशक (होमगार्डस) के नजदीक लक्ष्मीनारायण मंदिर के पीछे गोविन्ददेवजी मंदिर के प्रवेश दरवाजे से सटे परिसर में बनाया जा रहा है। करीब 90 फीसदी काम पूरा भी हो चुका है। नगर निगम हवामहल जोन(पश्चिम) जयपुर ने जिन शर्तों पर इस इमारत को बनाने की मंजूरी दी थी, उन शर्तों के साथ सरकार के स्तर पर इस इमारत के निर्माण की मंजूरी, नियम-कायदों, हेरिटेज व ऑर्कियोलॉजी एक्ट के प्रावधानों की पालना की गई है या नहीं, उनके बारे में दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि दस्तावेजों की जांच में इमारत का निर्माण गलत तरीके से होना पाया गया है। जो शर्तें तय की गई थी, उनकी पालना नहीं की गई। उधर, अंदरखाने चल रही इस मुहिम के बारे में सिटी पैलेस प्रशासन को भी सूचना है। उनकी तरफ से भी बचाव के इंतजाम के साथ बचे-खुचे निर्माण को तेजी से पूरा करवाया जा रहा है। वैसे भी राजमहल होटल सील विवाद के बाद जिस तरह से राजपरिवार सड़क पर उतारा और सरकार की घेराबंदी की, उससे सरकार और राजपरिवार के बीच संबंध सामान्य नहीं रहे। हालांकि सीधे तौर पर राजपरिवार भी सरकार पर आक्षेप लगाने से बचता रहा और इस कार्रवाई के लिए जेडीसी व जेडीए पर दोष मढ़ता रहा। लेकिन कहीं ना कही राजपरिवार को यह डर है कि फिर से राजमहल जैसी कोई कार्रवाई नहीं हो जाए।- दस मीटर से अधिक बना दी इमारतनगर निगम हवामहल जोन (पश्चिम) जयपुर की ओर से 16 अगस्त, 2012 को सिटी पैलेस परिसर में भवन निर्माण की स्वीकृति के 17 बिन्दु तय किए गए। इसमें मुख्य शर्ते यह है कि भवन की ऊंचाई अधिकतम आठ मीटर रखी जानी है यानि भूतल और प्रथम तल ही बना सकेंगे। लेकिन जो इमारत तैयार हुई है, वो आठ मीटर से भी अधिक है। दस मीटर से भी अधिक ऊंचाई दे दी गई है। भूतल, प्रथम तल के साथ द्वितीय तल भी बना दिया गया। इमारत की एफआर भी ज्यादा है। तय सेटबैक की शर्तों की भी पालना नहीं की गई। स्वीकृत नक्शों के विपरीत निर्माण होने की भी सूचना है। तय सीमा से अधिक ऊंचाई पर इमारत खड़ी करने से सीधे तौर पर नगर पालिका व नगर निगम के बॉयलॉज का स्पष्ट उल्लंघन है। इमारत बनाने में पुरातत्व व हेरिटेज नियमों की भी पालना नहीं की गई। इस इमारत में भी सुरखी, चूने और प्राचीन निर्माण सामग्री का उपयोग होना था, लेकिन नगर निगम सूत्रों के मुताबिक नई इमारत को सीमेंट बजरी से खड़ा किया गया है। भवन निर्माण से पहले एक नगर निगम के निर्देश में अथॉरिटी बननी थी, जो भवन निर्माण को मंजूरी देती और उस पर नजर भी रखती, लेकिन ना तो अथॉरिटी बनी और ना ही भवन निर्माण की मंजूरी के हिसाब से निर्माण कार्य हुए। भवन निर्माण की मंजूरी के बाद पूर्व राजपरिवार सदस्य दीया कुमारी ने भी इस संबंध में 26 बिन्दुओं का एक शपथ पत्र दिया, लेकिन उन बिन्दुओं में से भी कई शर्तों की पालना नहीं की गई।सील और ध्वस्त हो सकती है इमारतनगर पालिका अधिनियम के तहत भवन निर्माण की मंजूरी देते वक्त साफ निर्देश होते हैं कि एक भी शर्त का उल्लंघन किया गया तो भवन निर्माण की मंजूरी को रद्द किया जा सकता है, साथ ही नियमों के विपरीत हुए निर्माण को ध्वस्त करने और उसे सील करने का प्रावधान होता है। सवाई मानसिंह संग्रहालय परिसर में तैयार हुई इमारत में भी कई बिन्दुओं व शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन दिख रहा है। तय ऊंचाई आठ मीटर से अधिक निर्माण करने, एफआर ज्यादा लेने, सेटबैक नहीं छोडऩे, निर्माण में पुरातत्व और हेरिटेज एक्ट के नियमों की पालना नहीं करने जैसे बिन्दुओं की अवहेलना की गई है। ऐसे में संभावना है कि नियमों के विपरीत बनी इस इमारत को सील कर दिया जाए। गौरतलब है कि सिटी पैलेस में बन रही इस इमारत को लेकर नगर निगम में कांग्रेस नेता गुलाम नबी ने भी इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया था कि तय नियमों के विपरीत यह इमारत बनाई जा रही है। हेरिटेज और नगर पालिका नियमों की पालना नहीं की जा रही है। इस पर नगर निगम प्रशासन ने नोटिस भी दिए, लेकिन ठोस कार्रवाई से बचते रहे।

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