जयपुर। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने राजनीतिक बयानों की टाइमिंग और उससेे जाने वाले मैसेज का खास ध्यान रखते है। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह को निशाना बनाते हुए उन्होंने जो बयान दिया, वह काफी चर्चित रहा, क्योंकि गहलोत ने तीर तो दिग्विजय पर चलाया, लेकिन निशाना प्रदेश की कांग्रेस की राजनीति थी।
कांग्रेस को एकजुट करने के लिए प्रदेश प्रभारी महासचिव गुरूदास कामत के निर्देश पर अशोक गहलोत ने पार्टी के बडे नेताओं को डिनर तो दिया, लेकिन डिनर से एक दिन पहले अपने बयान के जरिए यह साफ कर दिया कि एकजुटता की बात अपनी जगह है, लेकिन वे जैसे सक्रिय थे, वैसे ही आगे भी बने रहेंगे। कांग्रेस की राजनीति को देखने वाले सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट आौर गहलोत के बीच सम्बन्ध सामान्य नहीं है और गहलोत की सक्रियता इसके पीछे सबसे बडा कारण है। गहलोत ने अपनी सक्रियता जरा भी कम नही की है। वे लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे है, नेताओं से मिल रहे हैं और जिलों में परम्पर विरोधी नेताओं को भी अपने साथ कार्यक्रमों में ला रहे है।
-यह कहा था गहलोत ने
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कुछ समय पहले बांसवाडा के दौरे में गहलोत को सलाह दी थी कि वे युवाओं को मौका दें और खुद राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो जाएं। यह बयान करीब एक माह पहले आया था। गहलोत ने उस समय इस बात का कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन डिनर से एक दिन पहले कोटा में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह यदि मध्य प्रदेश में सक्रिय रहते तो वहां कांग्रेस कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में होती। वे दस वर्ष मुख्यमंत्री रहे और अचानक सन्यास ले लिया। गहलोत ने कहा कि आज वे राजस्थान में सक्रिय है, इसीलिए यहां कांग्रेस मजबूत है और अगले चुनाव में निश्चित रूप सेे कांग्रेस की सरकार बनेगी। जानकारों का कहना है कि गहलोत ने डिनर से एक दिन पहले यह बयान दे कर इस बात का साफ संदेश दे दिया कि वे अपनी सक्रियता कम नहीं करने वाले है।

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