GST

जयपुर। डीजीजीआई की ओर से जीएसटी चोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए व्यवसायी आदित्य अग्रवाल उर्फ आदित्य गुप्ता ने कई बड़े खुलासे किए हैं। उनके बयान से कई नामी-गिरामी व्यवसायी भी कानूनी शिकंजे में आ सकते हैं। डीजीजीआई की पूछताछ में आदित्य अग्रवाल ने कहा कि सैकड़ों व्यापारी उसके संपर्क में रहे हैं। फर्जी कंपनियां बनाकर उन्हें अरबों रुपया जीएसटी फायदा पहुंचाया है। प्रारंभिक जांच में करीब फर्जी कंपनियों के माध्यम से 356 करोड़ रुपए का लाभ उठाने की बात सामने आई है। फर्जी कंपनियों व बिलों की पूरी जांच होने के बाद जीएसटी चोरी का यह आंकड़ा सात सौ करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। जांच में यह भी सामने आया है कि व्यापारियों के लिए फर्जी कंपनी बनाने के बदले पचास हजार रुपए लेता था।

इसमें सीए पंकज खंडेलवाल की भी हिस्सेदारी रहती थी। इन कंपनियों से न तो माल बेचते थे और न ही खरीदते थे, लेकिन फर्जी बिल पेश करके जीएसटी की चोरी कर रहे थे। डीजीजीआई की जांच में आदित्य अग्रवाल ने बयान दिया है कि डीजीजीआई की एक महीने पहले हुई कार्रवाई के बाद उसने डरकर लेपटॉप को जला दिया, ताकि सबूत ना मिले। साथ ही वे ई-मेल भी डिलीट कर दी है, जो व्यापारियों के कहने पर फर्जी कंपनियों के लिए बनाई थी। आदित्य के बयानों के आधार पर डीजीजीआई जीएसटी चोरी करके सरकार को चपत लगाने वाली कंपनियों व व्यापारियों पर कार्रवाई की योजना बना रही है।

डीजीजीआई ने जीएसटी कर चोरी के मामले में आदित्य अग्रवाल को आर्थिक अपराध मामलात की विशेष कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 28 जून तक न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। आदित्य की ओर से कोर्ट में जमानत अर्जी पेश की, जिस पर 25 जून को बहस होगी। गौरतलब है कि डीजीजीआई ने 20 मई को गाजियाबाद के श्रीराम कुमार सिंह, संदीप अग्रवाल और जयपुर के सीए पंकज खण्डेलवाल को अरेस्ट करके 58 करोड़ रुपए की जीएसटी घोटाले को उजागर किया था। पंकज खण्डेलवाल ने पूछताछ में फर्जी कंपनियों के माध्यम से जीएसटी चोरी के मामले में आदित्य अग्रवाल के भी शामिल होने के बारे में बताया था। मामले में मैसर्स हनी इंटरप्राइजेज के प्रोपराईटर विपुल को जीएसटी विभाग ने आरोपी मान रखा है। विपुल ने 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2017 तक करीब नौ करोड़ की जीएसटी राजकोष में जमा ही नहीं करवाई। फर्म ने निल विवरणी दाखिल की है।

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