राजस्थान में कुछ दिनों से सर्दी सितम ढा रही है। माउंट आबू, फतेहपुर, चुरु जैसे शहरों में पारा माइनस पहुंच गया है। जयपुर के आस-पास ग्रामीण क्षेत्रों में भी पारा माइनस के बराबर है। करीब एक पखवाड़े से कडाके की सर्दी पड़ रही है। सुबह से रात तक चलने वाली शीतलहर ने लोगों का चैन छीन लिया है। बीच-बीच में बारिश और ओलों की बौछारें सर्दी को अधिक बढ़ा जाती है। मौसम विभाग आगामी दिनों में भी सर्दी के प्रकोप से कोई राहत नहीं मिलने की कह रहा है। सर्दी के कहर से प्रदेशवासी ही नहीं जीव-जंतु भी विचलित है। लोग तो सर्दी के बचाव कर लेते हैं। जिनके घरों में पालतू जानवर हैं, वे भी सर्दी के इंतजाम करके अपने जानवरों को बचाकर रखते हैं, लेकिन जंगलों और खुले में रह रहे जानवरों के लिए यह सर्दी जानलेवा साबित हो रही है। बुधवार को जयपुर के नाहरगढ़ अभयराण्य में एक तेंदुआ मृत मिला है। आमेर के पास लबाना गांव की पहाडिय़ों में यह तेंदुआ चट्टानों पर मरा हुआ पाया गया। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। विभाग के अधिकारी सर्दी से तेंदुआ की मौत होना बता रहे हैं। तेंदुआ की उम्र दो साल की थी। ग्रामीण क्षेत्रों और जंगलों वैसे ही कंपकंपाती सर्दी पड़ रही है। लोग ही शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं। ऐसे में जंगलों और खुले में रहने वाले जानवरों के लिए यह सर्दी काफी कष्टदायक और जानलेवा भी साबित हो रही है। दस बारह दिन पहले भी लबाना में ही एक पांच साल का तेंदुआ भी सर्दी से बीमार हो गया था। जंगल में बेहोश देख ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी। वन विभाग की टीम ने तेंदुए को ट्रेंकुलाइज करके उसे अस्पताल लेकर गया, जहां मेडिकल ट्रीटमेंट से उसमें सुधार है। यह तेंदुआ भी सर्दी की वजह से बीमार होकर अचेत हो गया था। इसी तरह उदयपुर, प्रतापगढ़, रणकपुर, सिरोही में भी सर्दी से वन्यजीवों की मौत होने के समाचार आ चुके हैं। वन विभाग और सरकार ने जैसे खुले में सोने वाले लोगों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था कर रखी है। उनके खाने-पीने का भी इंतजाम किया है। चिडियाघरों में रहने वाले जानवरों के लिए अलाव, खान-पान की व्यवस्था सर्दी के हिसाब की है। खुले में घूमने वाली गायों को बचाने के लिए गौशाला है। वैसे ही जंगलों में कंपकंपाती सर्दी से कांपते जानवरों को बचाने के लिए सरकार को कुछ इंतजाम सोचने चाहिए, जिससे वन्यजीवों का सर्दी से बचाव हो सके और उन्हें मरने से बचाया जा सके। सर्दी के अलावा जंगलों में वन्यजीवों को खाने और पीने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। इसके लिए वह सुबह से शाम तक भटकते रहते हैं। रहने के लिए चट्टानों की ओट या पेड़ों के नीचे उनका आश्रय रहता है। ऐसे में अभी पड़ रही तेज सर्दी और शीतलहर को देखते हुए कुछ ऐसे इंतजाम करने चाहिए, जिससे वन्यजीवों को खाने-पीने के लिए ज्यादा भटकना नहीं पड़े। जंगलों में जिस तरह जलाशय बना रखे हैं, वैसे ही उनके सर्दी व बारिश से बचाव के लिए जगह-जगह गुफा या टीनशेड खड़े किए जा सकते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम बनाकर इस तरफ ध्यान देना चाहिए। अन्यथा पहले ही जंगलों में वन्यजीव कम है। जो हैं वे शिकारियों के टारगेट पर रहते हैं। सरकार को तेज सर्दी से बचाव के इंतजाम पर ध्यान देना चाहिए। तभी जंगल व जीव बचे रहे पाएंगे।

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