CNG-factories
नयी दिल्ली। पंजाब की कंपनी संपूर्ण एग्री वेंचर्स प्राइवेट लि. (एसएवीपीएल) ने पराली के उपयोग से बायो गैस और सीएनजी के लिए इस साल इंडियन आयल कारपोरेशन के साथ मिलकर 42 परियोजनाएं लगाने की योजना बनायी है। कंपनी ने यह पहल ऐसे समय में की है जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में धुंए व वायु प्रदूषण के लिए पंजाब-हरियाणा में कृषि अवशेष और पराली को जलाये जाने को जिम्मेदार बताया जा रहा है।
कंपनी की ये संयंत्र लगभग 3,000 करोड़ रुपये के निवेश से लगाये जाने की योजना है। एसएवीपीएल के संस्थापक और निदेशक संजीव नागपाल ने कहा, ‘‘एसएवीएल पराली से सीएनजी के उत्पादन के लिये आईओसी के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके तहत हम इस साल 3,000 करोड़ रुपये के निवेश से 42 परियोजनाएं लगाएंगे।’’ इयमें सीएनजी वितरण के लिये बुनियादी ढांचा शामिल हैं। इसके लिये कंपनी ने आईओसी के साथ सहमति पत्र पर दस्तखत किये हैं। इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने परियोजनाओं को समर्थन देने पर सहमति जतायी है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के अगले तीन साल में पूरा होने की संभावना है। प्रत्येक परियोजन में प्रतिदिन 70 टन पराली का उपयोग होगा। नागपाल ने कहा कि निवेश आईओसी का होगा और हम तकनीक उपलब्ध कराएंगे। कंपनी ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर यह प्रौद्योगिकी विकसित की है जिससे पराली के उपयोग से बायोगैस का उत्पादन किया जा सकता है।
एसएवीपीएल का दावा है कि वह पहली कंपनी है जिसने केवल पराली के उपयोग वाला बायोगैस संयंत्र लगाया है। बायोगैस आधारित बिजली संयंत्र पंजाब के फाजिल्का में है। कंपनी के अनुसार इस तकनीक के जरिये 100 प्रतिशत पराली का उपयोग किया जा सकता है। कुल 10 टन पराली से 4,000 घन मीटर प्रतिदिन बायोस का उत्पादन किया जा सकता है। यह एक मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है। साथ ही पराली के प्रभावी प्रबंधन से जैव उर्वरक भी उत्पादन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘पराली समस्या नहीं बल्कि संपत्ति है….हमें इसे जलाने से रोकने की जरूरत है। इसका उपयोग बायोगैस उत्पादन में करते हैं तो इससे खाद भी बनेगा। इससे रसायनियक खाद, कीटनाशक तथा फंगीनाशक की जरूरत नहीं होगी।’’ कंपनी के अनुसार 2500 टन पराली के बेहतर रखरखाव से 20 रोजगार सृजित हो सकते हैं। इस हिसाब से पंजाब और हरियाणा में 3 करोड़ टन पराली का उत्पादन किया जाता है और अगर बेहतर तरीके से इसका उपयोग हो तो 3.5 लाख सीधे रोजगार तथा तीन लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किये जा सकते हैं। साथ ही इन परियोजनाओं में लगने वाले उपकरणों के विनिर्माण से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को लाभ होगा। एसएवीपीएल के गठन का प्राथमिक लक्ष्य खुले खेत में कृषि अवशेष और पराली के जलाने से रोकना तथा उसका पर्यावरण अनुकूल उपयोग करना है।

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