करीब छह साल से प्रदेश की जनता सस्ती बजरी से वंचित है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नदियों में बजरी खनन पर प्रतिबंध लग गया। धीरे-धीरे सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी कम हुई और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद राज्य सरकार ने बजरी लाइसेंस नए सिरे से जारी किए, जिसके चलते वैध तरीके से बजरी खनन शुरु हो पाया। कुछ महीने पहले सरकार ने सस्ती बजरी देने के उद्देश्य से टोंक की संथली-बंथली लीज शुरु की। इससे उम्मीद जगी कि प्रदेश की जनता को सस्ती बजरी मिल सकेगी। मीडिया में भी सस्ती बजरी मिलने और रोजगार बढऩे के सरकार की तरफ से दावे किए गए, लेकिन वैध तरीके से बजरी सप्लाई लाइसेंस जारी होने के बावजूद जनता को महंगी बजरी मिल रही है। लाइसेंस जारी होने के बावजूद बजरी सस्ती तो नहीं हुई, उलटे बजरी व्यवसायियों की मनमानी और खान विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता से बजरी महंगी हो गई है। जयपुर समेत अन्य जिलों में भी लोगों को महंगी बजर मिल रही है। सरकार द्वारा लाइसेंस देने के बाद भी राहत नहीं मिलना बहुत ही सोचनीय है। पहले 1000 रुपए टन में बजरी मिल रही थी। तब भराई 250 रुपए प्रति टन थी। अब लीज शुरू होने के बाद भी बजरी के दाम 1500 रुपए टन हो गए। अब लीज होल्डर 650 रुपए प्रति टन भराई ले रहे हैं। लीज होल्डरों ने चार सौ रुपयों प्रति टन भराई बढ़ा दी, जो कि नीतिगत नहीं है। खान विभाग ने भी इस मनमाने निर्णय को रोकने की कोशिश नहीं की। ऐसा नहीं करके लगता है कि खान विभाग भी जनता को महंगी बजरी मिले, इसी प्रयास में लगा हुआ है। विभाग नहीं चाहता है कि जनता को सस्ती बजरी मिले। लीज होल्डर ट्रक चालकों को रवन्ना तो अंडरलोड का दे रहे हैं जबकि ट्रकों में बजरी ओवरलोड भर रहे हैं। टोंक लीज से रोजाना 500 ट्रक आ रहे हैं। इनमें क्षमता से दोगुनी बजरी भरी जा रही है। रॉयल्टी ट्रक की क्षमता के हिसाब से ली जा रही है। हर दिन 18 हजार टन बजरी की अवैध सप्लाई से खान विभाग को रोजाना 9 लाख का नुकसान हो रहा है लेकिन मिलीभगत के चलते खान विभाग मौन है। लीज होल्डर को 2014 में 5 साल के लिए लीज मिली थी। 2017 में एनओसी नहीं मिलने से लीज बंद हो गई। अब जनवरी 22 से 13 माह तक खनन करेंगे। इसके बाद नए टेंडर होंगे। सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया तो होल्डर 13 महीने तक अधिक राशि वसूलेंगे और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि लीज होल्डर्स के मनमाने फैसलों पर रोक लगाए। इन पर निगरानी रखें, तभी जनता को सस्ती बजरी मिल पाएगी। अगर लीज होल्डर्स मनमानी भराई रेट लगाकर जनता को लूटेंगे तो इन्हें रोकने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार ने भी लोगों को सस्ती बजरी का वादा किया था, लेकिन लगता है कि सत्ता में आते ही सरकार भी इसे भूल गई है। वैध लाइसेंस जारी होने के बाद भी जनता महंगी बजरी मिलना सरकार का फेलियर लगता है।

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