राजस्थान सरकार ने कोरोना केस की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए शहरी क्षेत्रों के बाहरवीं कक्षा के शिक्षण संस्थानों को 30 जनवरी तक बंद कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों पर यह पाबंदी नहीं लगाई। क्योंकि जब यह रोक लगी, तब ना तो गांवों में और ना ही ग्रामीण स्कूलों में कोरोना केस सामने नहीं आए। लेकिन कुछ दिनों से गांवों में कोरोना से ग्रसित मरीजों की तादाद खूब बढ़ रही है। साथ ही ग्रामीण स्कूलों के बच्चे और टीचर भी इस महामारी की चपेट में आने लगे हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों पर कोरोना का साया मंडराने लगा है। करौली जिले की मानपुर सीनियर सैकण्डरी स्कूल में चार टीचर कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसके बाद शिक्षा विभाग ने स्कूल को तीन दिन के लिए बंद कर दिया है। वहीं करौली में भी तीन स्कूली बच्चे भी कोरोना से पॉजिटिव मिले है। तीनों बच्चे किशोरवय के है। बच्चे कोरोना की चपेट में कैसे आए, इस पर उनकी ट्रेवल हिस्ट्री मेडिकल टीम जांच रही है। दूसरे जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना केस सामने आए है। ऐसे में यह रोग अब गांवों की तरफ बढऩे लगा है। इसके साथ ही गांवों में खुल रही स्कूलें के टीचर और बच्चे भी इस रोग से ग्रसित होने लगे हैं। फिलहाल केस कम है, लेकिन ओमीक्रॉन संक्रमण तेजी से फैलता है। ऐसे में यह तय है कि गांवों में केस मिल रहे हैं तो वहां भी शहरी क्षेत्रों की तरह सख्त कोविड गाइड लाइन लागू करनी होगी। तभी ग्रामीण क्षेत्रों में इस महामारी पर अकुंश लग पाएगा। नहीं तो दूसरी लहर में सर्वाधिक मार कस्बे और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों पर हुई थी। शहरों के मुकाबले गांवों के लोग ज्यादा संक्रमित हुए और मौतें भी खूब हुई। यही स्थिति फिर से ना हो, इसके लिए सरकार और प्रशासन को चाहिए कि शहरों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों की बाहरवीं कक्षा तक की स्कूलों को बंद किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाकर बच्चों का वैक्सीनेशन किया जाए। वैक्सीन से स्कूली बच्चे सुरक्षित हो पाएंगे। क्योंकि बड़े बुजुर्गों का वैक्सीनेशन करीब करीब हो चुका है। अब बच्चे ही वैक्सीनेशन से बचे है, जिनका भी तेजी के साथ डोज लग रही है। बच्चों को भी डोज लग जाएगी तो उन्हें भी सुरक्षा कवच मिल जाएगा इस बीमारी से लडऩे का। इसके अलावा दो गज की दूरी, मास्क पहनने जैसे उपाय भी सख्ती से लागू करने होंगे, तभी कोविड के प्रसार पर रोक लगेगी।

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