– अजमेर डिस्कॉम के एमडी विजय सिंह भाटी ने डिफेक्टिव मीटर्स तो राइट ऑफ किए, वहीं निगम द्वारा रोके गए पौने तीन करोड़ रुपये भी रिलीज करवाए।
– राकेश कुमार शर्मा
अजमेर विद्युत वितरण निगम (अजमेर डिस्कॉम) भ्रष्टाचार के बड़े बड़े कारनामे कर रहा है। चाहे वह सौभाग्य योजना से जुड़े घोटाले हो या इन घोटालों को अंजाम देने वाली कंपनियों को क्लीन चिट देने का मसला हो। हर काम बड़ी दरियादिली और खुलेमन से किया जा रहा है। ना कोई रोकने वाला और ना ही टोकने वाला। सीएमओ में पदस्थापित एक सजातीय अफसर की मेहरबानी से अब तक किसी तरह की आंच मुखियाजी तक नहीं आई है। यहीं वजह है कि करोड़ों रुपयों के घोटाले मीडिया की सुर्खियां बनने, कांग्रेस व भाजपा विधायकों द्वारा धरने-प्रदर्शन करने और घोटालों को उठाने के बावजूद मुखियाजी को अभयदान मिला हुआ है।
13772 डिफेक्टिव मीटर्स देने वाली फर्म एवन मीटर्स प्राइवेट लिमिटेड को क्लीन चिट देने वाले अजमेर डिस्कॉम के मुखिया एमडी विजय सिंह भाटी ने फर्म को दोहरे लाभ देते हुए निगम कोष को भारी नुकसान पहुंचाने का कृत्य किया है। हजारों खराब मीटर्स को राइट ऑफ करके फर्म को सीधे तौर पर लाभ और निगम को सदोष हानि पहुंचाई है। वहीं डिफेक्टिव मीटर्स की वजह से फर्म की रुकी हुई करोड़ों रुपयों की राशि भी दिलवा दी। एक तीर से दो निशान साधकर फर्म को मोटा फायदा दिया। एक तो ढाई-तीन करोड़ रुपये से जुड़े हुए 13772 खराब मीटरों का मामला निपट गया, वहीं इस प्रकरण के निपटते ही करीब पौने तीन करोड़ रुपये की वह राशि भी मिल गई, जो खराब मीटरों के चलते अजमेर डिस्कॉम ने अपने पजेशन में ले रखी थी। इससे सिर्फ निगम को खासा नुकसान पहुंचा। इस तरह के नियम विरुद्ध भ्रष्टपूर्ण कृत्यों के चलते ही तीनों विद्युत कंपनियां घाटे में है।
– रोकी गई रकम लौटाई
खराब मीटर्स का मामला सेटलमेंट कमेटी से निस्तारित होते ही फर्म के रुकी हुई राशि और बैंक गारंटी भी वापस दिलवा दी गई। खराब मीटर्स नहीं बदलने के कारण अजमेर डिस्कॉम द्वारा फर्म के करीब एक करोड़ 63 लाख तथा बैंक गारंटी के करीब एक करोड़ ग्यारह लाख रुपये रोक लिए थे। खराब मीटर्स का मामला सेटलमेंट कमेटी द्वारा निस्तारित करते ही फर्म ने रुकी हुई राशि लेने का तकाजा कर दिया। 16 दिसम्बर, 2020 को बैंक गारंटी जो एक करोड़ ग्यारह लाख रुपये थी, उसके रिलीज ऑर्डर जारी हुए। बाद में खराब मीटरों के एवज में रोकी गई 1.63 करोड़ रुपये की राशि रिलीज के आदेश हुए।
– पेनल्टी तक नहीं वसूली
इस पूरे मामले में एक बड़ी वित्तीय अनियमितता यह रही कि खरीद नियमों के हिसाब से पेनेल्टी ऑफ अंगेस्ट रिपलेसमेंट ऑफ डिफेक्टिव मीटर्स की जुर्माना राशि भी फर्म से वसूली नहीं गई। यह शास्ति डिफेक्टिव मीटर्स के मूल्यों की पांच फीसदी होती है। करीब पन्द्रह से बीस लाख रुपये की जुर्माना राशि वसूल नहीं की गई।

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