नयी दिल्ली। देश को हिला कर रख देने वाले आरुषि -हेमराज हत्याकांड,निठारी कांड हो या शीना बोरा कांड जैसी वास्तविक घटनाएं या फिर अपराध पर फिक्शन …ये कहानियां हमेशा ही भारतीयों को पसंद आती रहीं हैं। लेखकों ने इसके पीछे कारण स्पष्ट किया है। क्राइम फिक्शन लेखक रवि सुब्रमण्यम कहते हैं कि नकारात्मकता और रहस्य किसी की भी कल्पनाशक्ति को मोहित कर लेते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी अच्छे लड़के और लड़कियों की कहानियां नहीं पढ़ना चाहता।’’ रवि की हाल ही में नई किताब ‘‘इन द नेम ऑफ गॉड’’ आई है।
वह कल यहां इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘क्रिमिनल माइन्ड्स’ सत्र में बोल रहे थे। लेखक ने कहा कि अपराध से जुड़ी कहानियों के प्रति किसी की दिलचस्पी का मूल ‘‘जीवित रहने की सहज प्रवृत्ति’’ से जुड़ी है। जब हम क्राइम थ्रिलर्स पढ़ते हैं तो वह हमारे सामने आ जाता है।कार्यक्रम में लेखक एन चक्रवर्ती और महाराष्ट्र (साइबर) महा निरीक्षक ब्रिजेश सिंह भी मौजूद थे। सिंह ने कहा कि अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए सतत संघर्ष उन्हें उन चीजों से सतर्क करती हैं जो संदिग्ध अथवा खतरनाक दिखाई देती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर आप किसी स्थान पर जाते हैं और अगर मैं कहूं कि पॉकेटमारों से सावधान रहना तो आप पॉकेटमारों से ज्यादा सावधान हो जाएंगे। दिमाग भी इसी तरह से काम करता है।’’ भारतीय लेखकों के लिए इस प्रकार की कहानियों को लिखने की चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि कहानी में भावनाओं और खुफिया बातों का सही तालमेल होना चाहिए।