जैसलमेर। 23 जून 2017 को गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ। उसके बाद प्रदेश में एक लहर सी राजपूत समाज के लोगों के बीच में दौड़ गई और उन्होंने कहा की यह एनकाउंटर सही नहीं है अत: सरकार इसकी सीबीआई से जांच कराए। एनकाउंटर के बाद प्रदेश के गृहमंत्री ने भी कह दिया था कि यह एनकाउंटर सही है और सरकार किसी भी जांज के लिए तैयार है। मगर जब रावणा राजपूत और राजपूत समाज ने इस एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग की तो सरकार आनाकानी करने लगी। और उन्होंने राजपूत समाज की मांगे मानने में इतना समय लगा दिया कि। राजपूत समाज भाजपा से नाराज हो गया और यहां तक कह दिया कि आगामी चुनावों में राजपूत समाज भाजपा पार्टी का बहिष्कार करेगी। हालांकि भाजपा ने इसके बाद राजपूत समाज को साधने के लिए कई जतन किए। जिनमें प्रमुख है कि प्रदेश सरकार ने आईपीएस अजीत सिंह को प्रदेश डीजीपी बनाया, तथा अभी थोड़े दिन पहले ही केन्द्र सरकार में गजेन्द्र सिंह शेखावत को कृषि राज्यमंत्री बनाया गया है। अब जब विधानसभा चुनाव जैसे-जैन नजदीक आ रहे हैं मुख्यमंत्रीवसुंधरा राजे को भी चिंता सताने लगी है। उनकी चिंता भी वाजिब है क्योंकि राजपूत समाज भाजपा का वोट बैंक है। इसीलिए उन्होंने राजपूत समाज को साधने के लिए राजपूत नेताओं से करीब एक घंटा बंद कमरे में मीटिंग की। हालांकि यह बात अलग है कि सारे राजपूत नेता जो इस मीटिंग में थे वे भी राजपूत समाज के निशाने पर है। राजपूत समाज का कहना है कि जब हम आनंदपाल एनकाउंटर के दौरान आन्दोलन कर रहे थे तो राजपूत समाज के एक भी मंत्री और विधायक ने हमारा साथ नहीं दिया जो इस समय भारतीय जनता पार्टी में सत्ता सुख भोग रहे हैं। इसलिए अब इन समाज के नेताओं को भी सबक सिखाया जाएगा।

सीएम वसुंधरा राजे ने पूर्व विधायक भाटी व समाजसेवी गोरधन सिंह

मुख्यमंत्री भी इस बात को भलीं-भांती जानती है इसलिए उन्होंने इसकी शुरुआत जैसलमेर से ही की है। रविवार को जैसलमेर प्रवास के दौरान उन्होंने जिले के मौजिज राजपूतों को करीब एक घंटे का समय दिया। विशेष तौर पर यह मीटिंग बुलाई गई और बंद कमरे में करीब एक घंटे तक उन्हें मनाने की कोशिश की। गौरतलब है कि राजस्थान में राजपूत समाज मुख्यमंत्री से काफी समय से नाराज चल रहा था। इस नाराजगी में जैसलमेर का चुतरसिंह हत्याकांड भी शामिल था। वहीं प्रमुख रूप गत लोकसभा चुनावों में जसवंतसिंह को बीजेपी की टिकट नहीं मिलना राजपूतों की नाराजगी का कारण है। उसके बाद से जैसलमेर में तो हर जगह बीजेपी को नुकसान ही झेलना पड़ा। ऐसे में अब सीएम ने राजपूतों को मनाने की कोशिश तेज कर दी। हालांकि जिस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिरकत करने गई थी वहां और भी समाजों के लोग थे मगर मुख्यमंत्री ने सबसे ज्यादा समय राजपूत नेताओं को दिया।

रविवार को होटल सूर्यागढ़ में मुख्यमंत्री करीब 100 से अधिक मौजिज राजपूतों से मिली। इस बैठक में पूर्व महाराजा जोधपुर गजसिंह, विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्रसिंह, विधायक छोटूसिंह, शंभूसिंह खेतासर, पूर्व विधायक सांगसिंह भाटी, स्वरूपसिंह हमीरा, रावत त्रिभुवनसिंह बाड़मेर, विक्रमसिंह नाचना, कंवराजसिंह चौहान, जुगतसिंह रावतरी, तारेन्द्रसिंह झिनझिनयाली, रतनसिंह कुंडा, जूझारसिंह तेजमालता सहित कई मौजिज उपस्थित थे। विधायक भाटी ने नहर को आगे बढ़ाने की मांग रखी, बारानी भूमि आवंटन के लिए गुहार लगाई। जुगतसिंह रावतरी ने डीएनपी में मिली सुविधाओं का धन्यवाद देते हुए कहा कि कुछ समस्याएं रह गई है उसका निस्तारण भी किया जाए। तारेन्द्रसिंह झिनझिनयाली ने डार्क जोन से मुक्ति, राष्ट्रीयकृत बैंक सहित कई समस्याओं से अवगत करवाया।

आनन्दपाल एनकाउंटर: राजपूत समाज के गुस्से की वजह तो नहीं सांसद गजेन्द्र सिंह को मंत्री पद

राजपूत समाज की मूल पार्टी भाजपा ही है
इसअवसर पर राव राजेन्द्रसिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि राजपूत समाज को एकजुट रहना चाहिए। हम सभी एकजुट रहेंगे तभी हमारा प्रदेश आगे बढ़ पाएगा। हमारी कौम भाजपा समर्थित है और हमारी मूल पार्टी भाजपा ही है। ऐसे में हमें भाजपा के साथ रहना चाहिए।
आपके बिना विकास अधूरा
बैठकमें सीएम राजे ने भावुक होते हुए राजपूत सरदारों से कहा कि मैं आपकी हूं, आपके समाज की हूं, मैं आपके लिए संघर्ष कर रही हूं, जब आप मेरे साथ नहीं रहोगे तो बाकी लोग मेरे साथ कैसे जुटेंगे। आपके साथ से ही मैं आगे बढूंगी और राजस्थान का विकास कर पाऊंगी। कई ऐसे मुद्दे हैं जो उच्च स्तर के हैं हर जगह नहीं रखे जा सकेगी, वह सब मुद्दे भी पारिवारिक ही है।

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