कोलकाता। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जद :यू: और भाजपा ‘स्वाभाविक’ सहयोगी हैं और दोनों दल 2019 का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट में कल रात यहां कहा, ‘‘समय आएगा तो हम साथ बैठेंगे और मिलकर सीटें बांट लेंगे। हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और नरेंद्र मोदी 2019 में एकबार फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे।’’ सुशील मोदी इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हो सकता है कि भाजपा को जद :यू: के समर्थन की जरूरत नहीं पड़े। भाजपा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी :रालोसपा: , लोक जनशक्ति पार्टी :लोजपा: और हिंदुस्तानी अवामी पार्टी के साथ मिलकर 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 40 में से 32 सीटों पर जीत हासिल की थी। उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन लेन-देन को लेकर है। जब दोनों सहयोगी दल महसूस करेंगे कि उन्हें इससे लाभ होगा, तभी यह काम करेगा। हम 2019 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार नीत जद :यू: के साथ मिलकर लड़ेंगे।’’ उनके बयान का इसलिये महत्व है क्योंकि आगामी आम चुनावों को लेकर सीटों की साझेदारी के विषय पर दोनों दलों के नेताओं के अलग-अलग सुर सुनने को मिले थे।
बिहार के सांसदों के साथ बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि वे राज्य में सभी 40 लोकसभा सीटों पर बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने में लग जाएं। जद :यू: ने भी अपने कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि वे सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिये तैयार रहें। राजद प्रमुख लालू प्रसाद और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इस मौके का इस्तेमाल नीतीश कुमार पर निशाना साधने के लिये किया था। उन्होंने दावा किया था कि भाजपा ने 2010 की एक घटना का बदला लेने के लिये नीतीश को हाशिये पर डाल दिया है। नीतीश ने उस वक्त नरेंद्र मोदी की वजह से भाजपा नेताओं को दिये गए रात्रिभोज को रद्द कर दिया था। सुशील मोदी ने कहा, ‘‘जद :यू: और भाजपा एक-दूसरे के लिये बने हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नीतीश कुमार 17 वर्षों तक हमारे भागीदार रहे और एकबार फिर जद :यू: और भाजपा साथ आ गए हैं। यह स्वाभाविक गठबंधन है।’’ जद :यू: ने जून 2013 में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया था जब भगवा पार्टी ने नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव के लिये प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का फैसला किया था। जद :यू:, राजद और कांग्रेस का महागठबंधन इस साल जुलाई में टूटने के बाद नीतीश कुमार और भाजपा ने एकबार फिर राजनैतिक रूप से संवेदनशील राज्य में सरकार बनाने के लिये हाथ मिलाया था।