जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2030 तक प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने का संकल्प लिया है। एक मजबूत सड़क तंत्र से मिशन-2030 का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश में सड़क विकास के उत्कृष्ट कार्य हुए हैं, जिसके फलस्वरूप हमारी सड़कों की प्रशंसा देशभर में हो रही है। आज प्रदेश के सुदूर क्षेत्रों के गांव-ढाणियां सुरक्षित और सुगम सड़क तंत्र से जुड़ रहे हैं, जिससे आमजन को रोजगार मिला है और उनकी आय में वृद्धि हुई है। गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास से 4,817 करोड़ रुपए की लागत के 153 सड़क विकास कार्यों के लोकार्पण तथा शिलान्यास कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे थे। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार दुर्घटना रहित सुरक्षित और सुगम सफर के लिए उच्च गुणवत्तापूर्ण सड़कों का जाल बिछा रही है। इससे निवेशकों के लिए एक सकारात्मक माहौल बना है और प्रदेश विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने बजट घोषणाओं को तेज गति से धरातल पर उतारने के लिए सार्वजनिक निर्माण और अन्य विभागों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जयपुर में बन रहे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रोड एण्ड बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन से निर्माण कार्याें की गुणवत्ता में और मजबूती आएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में निवेश की अपार संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा उच्च गुणवत्तापूर्ण सड़कों का विकास किया जा रहा है। इसी क्रम में प्रदेश के 50 प्रमुख राज्य राजमार्गों को राष्ट्रीय राजमार्गाें में क्रमोन्नत करने की मांग को लेकर कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया। राज्य में निवेश की प्रबल संभावना रखने वाले कई क्षेत्र हैं, इनके राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ने से औद्योगिक विकास को गति मिलेगी तथा रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी, जिससे जनता को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। गहलोत ने कहा कि राज्य राजमार्गाें पर टोल संग्रहण के लिए फास्टैेग की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे आवागमन में सुगमता आई है तथा आमजन को समय की बचत हो रही है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को सड़क से जोड़ने का कार्य भी प्राथमिकता से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 1 लाख कि.मी. से अधिक सडकों का विकास कराने का लक्ष्य रखा है। इसमें अभी तक 66 हजार कि.मी. से अधिक सड़कों का विकास हो चुका है। नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिकाओं में भी पीडब्ल्यूडी के माध्यम से सड़कें बनवाई जा रही हैं। आगे भी नवीन सड़क निर्माण, सुदृढ़ीकरण एवं चौड़ाईकरण के कार्य कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि तय समय सीमा में ही गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण होने से आमजन को राहत मिली है। गहलोत ने कहा कि वर्ष 2030 से पहले राज्य के 100 की आबादी वाले गांवों को भी सड़कों से जोड़ने का कार्य किया जाएगा। राज्य सरकार 2030 तक राजस्थान को अग्रणी राज्यों की श्रेणी में शुमार करने का विजन लेकर चल रही है। इसमें सभी प्रदेशवासियों की भागीदारी आवश्यक है। इसके लिए मुहिम चलाकर अर्थशास्त्रियों, लेखकों, पत्रकारों, विद्यार्थियों, सरकारी कर्मचारियों, अधिवक्ताओं, किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं, बुद्धिजीवियों, खिलाड़ियों सहित एक करोड़ प्रदेशवासियों से सुझाव लिए जाएंगे। राज्य सरकार इन्हें समाहित कर मिशन 2030 का विजन डॉक्यूमेंट जारी करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था करीब 9 लाख 11 हजार करोड़ रुपए थी। यह आज करीब 14.14 लाख करोड़ रुपए है। इसे वर्ष 2030 तक करीब ढाई गुना बढ़ाकर 35.71 लाख करोड़ रुपए ले जाने का हमारा लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 जिलों के लिए महत्वपूर्ण पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की डीपीआर में शेष रह गए बांधों को भी जोड़ा जाएगा। इसमें दौसा, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर एवं अलवर के 53 बांधों को ईआरसीपी से जोड़कर भरा जाएगा। इससे ईआरसीपी परियोजना की लागत 1,665 करोड़ रुपए बढ़ेगी और 11 लाख किसान लाभान्वित होंगे। जयपुर के रामगढ़ बांध को भी ईआरसीपी के तहत ईसरदा बांध से भरा जाएगा। इस पर 1,250 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सार्वजनिक निर्माण मंत्री भजनलाल जाटव ने बताया कि 4,817 करोड़ रुपए की लागत से 153 सड़क विकास कार्याें के लोकार्पण तथा शिलान्यास से प्रदेश में विकास को एक नई गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि बजट 2023-24 में 16 हजार 123 करोड़ रुपए की लागत से 23 हजार कि.मी. सड़कों का निर्माण और सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अभी तक 33 हजार 440 करोड़ रुपए की लागत से 66 हजार कि.मी. में सड़कों का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद सड़क विकास के उत्कृष्ट कार्य हो रहे हैं। मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि इतने कम समय में बजट घोषणाओं की क्रियान्विति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता तथा विभिन्न विभागों के प्रभावी समन्वय से ही संभव हो पाई है। कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अरोरा, प्रमुख शासन सचिव पीडब्ल्यूडी वैभव गालरिया, सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एवं अतिरिक्त सचिव संजीव माथुर तथा वीसी के माध्यम से सभी जिलों से मंत्री, विधायक, जनप्रतिनिधिगण, जिला कलक्टर एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी व आमजन जुड़े।

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