सिरोही। अतिवृष्टि के तीन सप्ताह गुजरने के बाद भी सिरोही के रोहुआ (रेवदर) में ढाई किलो मीटर लम्बे क्षेत्र से न तो पानी निकाला जा सका है और न ही रास्ते और बिजली का इंतजाम हो सका है। बीस से चालीस फीट पानी अब भी भरा है और ईश्वर ना करे कोई गंभीर बीमारी हो जाए तो जिंदगी बचाने का भी प्रयास नहीं किया जा सकता। पहले ही पानी भराव के कारण लोटीवाडा की नेहडा बस्ती में इलाज न करवा पाने के कारण चुन्नीलाल भील दम तोड चुका है। रोहुआ में पानी के किनारे नाव तो खडी है, लेकिन कई दिन से कोई चलाने वाला नहीं है। जाहिर है किसी काम नहीं आ रही। जब नाविक थे तो एक बार पेयजल के केम्पर नाव से उस पार लाए गए थे, अब पीने के पानी के लिए भी तरस रहे है। मोटर और पाइप लाइन के कुछ लाख रुपए खर्च कर पानी निकाला जा सकता है, लेकिन सरकार आपराधिक उपेक्षा कर रही है। ढाई किलो मीटर लम्बी एवं एक किलो मीटर चैडी इस आपदा में सैकडों पशु जमींदोज हो गए। अब मुआवजे के लिए पशुओं की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट मांगी जा रही है। इस चालीस फीट गहरे पानी में पशुओं का पोस्ट मार्टम क्या सरकार करवा सकेगी।

किसानों की खेती की उम्मीद नष्ट हो गई और कई किसानों के खेत खाई में बदल गए। सरकार राहत के नाम पर कौडियों के दाम देना चाहती है। रोहुआ के प्रत्येक बर्बाद खेत के लिए पचस हजार रुपए प्रति बीघा का मुआवजा दिया जाए। राज्यमार्ग मंडार-रेवदर से रोहुआ की तरफ मुडने के बाद सडक बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। बडे-बडे गड्ढ़े पड गए है। कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं, गड्ढे के संकेत नहीं, रात में आप जाए तो खड्ढ1े में गिर जाए। राज्य सरकार ने कृषि ऋण का मात्र 25 फीसदी मुआवजा देना तय किया है। रोहुआ पंचायत को विशेष दर्जा देते हुए यहां के किसानों के शत प्रतिशत कृषि ऋण की राशि मुआवजे के रूप में दी जाए।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव व राजस्थान के सह प्रभारी विवेक बंसल व सांसद हरीश चैधरी को रोहुआ में पूर्व विधायक संयम लोढा व केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष वीरभद्रसिंह रोहुआ एवं ग्रामीणों ने बीस दिन बाद भी हालात न सुधरने की जानकारी दी। तुरंत जल निकासी की व्यवस्था न की गई तो कांग्रेस जनहित में संघर्ष छेड़ेगी। उनके साथ पूर्व सांसद पारसाराम मेघवाल, पूर्व प्रधान मोतीलाल कोली, लिकमाराम कोली, आनंद जोशी, भूराराम कोली, मफतलाल बुनकर, फजल भाई, संध्या चैधरी, मुकेश जोशी, सूरताराम देवासी आदि थे।

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