चेन्नई। दिवगंत मुख्यमंत्री जयललिता की जिंदगी और उनकी दिलचस्प आदतों को लेकर कई बाते काफी मशहूर है। इनमें कुछ पर तो जयललिता का अटूट विश्वास रहता था। ज्योतिष और ज्योतिषाचार्यों की अनुमति के बिना वह कुछ भी नहीं करती थी। वह खुद भी ज्योतिष की काफी जानकारी थी। हरी साड़ी के प्रति उनका लगाव और एक खास कुर्सी के प्रति उनका आकर्षण हमेशा चर्चा का विषय रहा है। कहते हैं कि जयललिता हमेशा उसी कुर्सी पर बैठा करती थीं। यहां तक कि जब वह दिल्ली आतीं थी तब भी उनके लिए वह कुर्सी भी लाई जाती। इनके पीछे ज्योतिषीय गणनाओं का भी बहुत बड़ा हाथ था। जयललिता को ज्योतिष विद्या पर बहुत यकीन था। बताया जाता है कि जब 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से उन्होंने समर्थन वापस लिया तो उस के पीछे राजनैतिक मतभेदों के साथ-साथ ज्योतिष गणनाओं का भी बहुत बड़ा हाथ था। समर्थन वापसी की घोषणा से पहले जयललिता ने किसी से भी मिलने से इनकार कर दिया था। उनके ज्योतिषियों ने उन्हें बताया था कि उनकी कुंडली का चंद्रमा आंठवें घर में है और यह उनके लिए अशुभ हो सकता है। ऐसे में जयललिता कई घंटे तक होटल के अपने कमरे में बंद रहीं और किसी से भी नहीं मिलीं। इतना ही नहीं वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस लेते हुए उन्होंने राजनैतिक जोड़-घटाव तो किया ही, साथ ही ज्योतिषियों से भी सलाह ली। उनके ज्योतिष ने समर्थन वापसी की घोषणा का समय भी बता दिया था। जयललिता को ज्योतिष विद्या और अंकविद्या पर बहुत भरोसा था। बिना ज्योतिषों की सलाह लिए वह ना कोई योजना बनाती थीं और ना ही कोई फैसला लेती थीं। राजनैतिक, प्रशासनिक निर्णयों में भी ज्योतिष और ज्योतिषिय गणना का सहारा लेती थी। उनके बारे में यह किस्सा भी मशहूर है कि एक बार उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह रद्द कर दिया था। जिस समय पर कार्यक्रम तय किया गया है वह उनके लिए शुभ नहीं है। जयललिता को अंक ज्योतिष पर भी बहुत भरोसा था। साल 2011 में उन्होंने अपने नाम में एक अतिरिक्त ए जोड़ा था। कहते हैं कि उन्होंने मन्नत मांगी थी। फि र जब वह चुनाव जीतकर सत्ता में आईं तो उन्होंने अपने नाम के अंत में एक और ए जोड़ लिया। अपने जन्म के ग्रहों और कुंडली को ध्यान में रखते हुए वह 5 और 7 को अपना भाग्यशाली अंक मानती थीं। संयोग देखिए कि उनके निधन की तारीख भी 5 ही रही। उनके शव को राजाजी हॉल में रखा गया है, ताकि लोग पहुंचकर उन्हें आखिरी बार देख सकें और श्रद्धांजलि दे सकें। बुधवार शाम को उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। कहा जा रहा है कि जयललिता की ज्योतिष शास्त्र में आस्था को देखते हुए ही यह फैसला किया गया है। पंचांग के हिसाब से बुधवार को अष्टमी तिथि है।

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