जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में रणथंभौर और सरिस्का सहित अन्य जगहों पर बाघ व अन्य वन्यजीव की मौत के मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि है कि आबादी होने के कारण गांव जंगल की ओर जा रहे हैं और वन्यजीव गांवों में आ रहे हैं।
सुनवाई के दौरान मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी अदालत में पेश हुए। अदालत ने उनसे बाघों की मौत का कारण पूछा जिस पर उन्होंने कहा कि जंगलों के भीतर गांव है और गांव को वहां से शिफ्ट नहीं करने के कारण बाघों की मौत हो रही है। गौरतलब है कि एकलपीठ ने 19 अप्रैल को रणथंभौर नेचर गाइड एसोसिएशन की याचिका में सुनवाई के दौरान रणथंभौर में टाइगर के दो बच्चों की मौत को गंभीर मानते हुए उन्हें जहर देने की संभावना जताई थी। एकलपीठ ने प्रकरण को सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भिजवा दिया था।
दूसरी तरफ राज्य सरकार ने एकलपीठ के समक्ष अपने जवाब में कहा कि प्रथमदृष्टया बाघों की मौत प्राकृतिक है। रणथंभौर में बाघ के बच्चों की मौत के बाद उनके विसरा को एफएसएल जांच के लिए भिजवा दिया है। सरिस्का में बाघ के फंदा लगने से हुई मौत का मामला भी प्राकृतिक घटना है। वही सरिस्का से बाघिन के गायब होने की जांच पूर्व डीजीपी अजीत सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय टीम को दी गई है। वहीं जयपुर में दो पैंथर की मौत भी प्राकृतिक कारणों से ही हुई है।

































