One to ten years rigorous imprisonment in case of misbehavior with teenager

नीमच, भारत में कन्या भ्रूण हत्या जहां राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय है तो वहीं मध्यप्रदेश के मालवा इलाके के रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में निवास करने वाले बांछड़ा समुदाय में लड़की का जन्म होने पर जश्न मनाया जाता है लेकिन इस जश्न के पीछे की तस्वीर बड़ी भयावह है। यहां लड़की होने पर जश्न इसलिए मनाया जाता है ताकि बड़ा होने पर उन्हें देह व्यापार के नरक में धकेला जा सके । इतना ही अब ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जहां बांछड़ा समुदाय के लोग दूसरे समुदायों से लड़कियों को खरीद कर उन्हें देह व्यापार में धकेल रहे हैं । बांछड़ा समुदाय में देहव्यापार को सामाजिक मान्यता है और इसलिये इनके परिवार में लड़की का होना बड़ा अहमियत रखता है।

समुदाय में लड़कियों की अहमियत के मद्देनजर लड़कियों की संख्या बढ़ाने का एक नया तरीका निकाला है। यह नया तरीका है कि दूसरे समुदाय की और गरीब परिवारों की लड़कियों को पैदा होते ही खरीद लो और उसको पालो पोसो तथा बड़ी करके वेश्यावृति के दलदल में धकेल दो । बांछड़ा समुदाय के उत्थान के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘‘ नई आभा सामाजिक चेतना समिति’’ के संयोजक आकाश चौहान ने बताया, ‘‘ मंदसौर, नीमच और रतलाम जिले में 75 गांवों में बांछड़ा समुदाय की 23,000 की आबादी रहती है। इनमें 2,000 से अधिक महिलायें और युवतियां देह व्यापार में लिप्त हैं।’’ चौहान ने दावा किया कि मंदसौर जिले की जनगणना के अनुसार यहां 1000 लड़कों पर 927 लड़कियां हैं, पर बांछड़ा समाज में स्थिति उलट है। महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा वर्ष 2015 में कराये गये सर्वे में 38 गांवों में 1047 बांछड़ा परिवार में इनकी कुल आबादी 3435 दर्ज की गयी थी। इनमें 2243 महिलायें और महज 1192 पुरूष थे, यानी पुरूषों के मुकाबले दो गुनी महिलायें। वहीं नीमच जिले में वर्ष 2012 के एक सर्वे में 24 बांछड़ा बहुल गांवों में 1319 बांछड़ा परिवारों में 3595 महिलायें और 2770 पुरूष पाये गये।

इस पूरे मामले में मालवा में पुलिस इंस्पेक्टर अनिरूद्व वाघिया ने बताया कि दूसरे समाज की लड़कियों को खरीदकर उनको वेश्यावृत्ति के धंधे मे धकेलना चौंकाने वाला हैं। नीमच, मन्दसौर जिले में इस तरह के अब तक करीब 70 से अधिक मामले उजागर हो चुके हैं। नीमच के पुलिस अधीक्षक :एसपी: टीके विधार्थी ने ख़ास बातचीत में मानव तस्करी और बांछड़ा समुदाय की सामाजिक बुराई पर कहा, ‘‘इस दिशा में पुलिस के चाहे जितने भी प्रयास हों वो नाकाफी हैं क्योंकि पुलिस कितने मुकदमें कायम करेगी? पुलिस की कार्रवाई उतनी प्रभावी नहीं होगी, इसके लिये सामाजिक जागरूगता की ज़रूरत है। यह एक सामूहिक बुराई है। अभी हाल ही में हमने इस दिशा में प्रयास शुरू किये हैं। ’’

उन्होंने बताया, ‘‘हम बांछड़ा समुदाय के डेरों में सर्वे करवाकर यह प्रयास कर रहे हैं कि इनके सब बच्चे स्कूल जायें, वहीं जो पढ़ लिख चुके है उन्हें रोजगार मिले। हमारे अधिकारी ऐसे बांछड़ा युवक युवतियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे हैं। यदि ऐसा हो जाता है तो इसके परिणाम काफी सुखद होंगे। हमारा मानना है कि समाज की मुख्य धारा से जुड़कर ही इस समस्या का प्रभावी हल निकल सकता है।’’ एसपी ने आगे कहा कि जागरूकता अभियान के साथ पुलिस उन लोगों को नहीं बख्शेगी जो नाबालिग बच्चियों को इस धंधे में लाते हैं। यदि हमें इस तरह की कोई शिकायत मिली तो हम ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटेंगे।

 

 

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