हिसार। जिले का मिर्चपुर गांव बीते सोमवार की रात एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। गांव में दो पक्षों में हुए झगड़े के बाद मंगलवार की सुबह 40 दलित परिवारों ने गांव से पलायन कर दिया। दलित परिवारों के पलायन की खबर जैसे ही मीडिया की सुर्खियां बनी तो प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामले में प्रदेश सरकार के साथ केन्द्र सरकार में बैठे अधिकारी हरकत में आ गए। प्रशासन ने दलितों को वापस घर लाने के मामले में प्रयास शुरू कर दिए। केन्द्रीय सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने दलितों से मिलकर उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। वहीं प्रदेश के एससी-एसटी कल्याण राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने अथक प्रयासों के बाद दलितों की घर वापसी कराई। गौरतलब है कि 21 अप्रैल 2010 को मिर्चपुर गांव में कुत्ते के भौंकने पर दो पक्षों में झगड़ा हो गया था। आरोप था कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के घरों को आग लगा दी थी, जिसमें बाप-बेटी जिंदा जल गए थे। उस समय भी करीब 60 परिवारों के 350 लोग पलायन कर गए थे। तब गांव में छह साल तक सीआरपीएफ के 90 जवान तैनात रहे थे। हाल ही सोमवार की रात्रि फिर एक मर्तबा विवाद हो गया। विवाद के बाद मिर्चपुर गांव में दलित समुदाय के सभी परिवार सहमे हुए थे। मंगलवार सुबह दलित समुदाय के लोगों ने पंचायत में निर्णय लिया कि वे अब इस गांव में नहीं रहेंगे। इसके तुरंत बाद गांव में रह रहे सभी 40 परिवारों के करीब 120 लोग अपने घरों को ताला लगाकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पैदल ही गांव से निकल गए। अधिकारियों ने पलायन रोकने को लेकर तमाम कोशिशें की, लेकिन प्रयास नाकाम ही रहे। बाद में प्रदेश के एससी-एसटी कल्याण राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी स्वयं हिसार पहुंचे और पीडि़त परिवारों से मुलाकात की। बेदी ने दलित परिवारों की फोन पर सीएम मनोहर लाल खट्टर से बात कराई। जहां सीएम ने उन्हें पुनर्वास, रोजगार, सुरक्षा इत्यादि मांगों को पूरा करवाने का आश्वासन दिया। जिस पर दलित समुदाय के लोग गांव लौटने को राजी हो गए। प्रशासन ने उन्हें रात को ही रोडवेज बस में सवार कर उनके घर भेज दिया। इधर पुलिस ने मामले में 18 युवकों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर 4 युवकों को हिरासत में ले लिया।

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