चैन्नई। तमिलनाडू विधानसभा में शनिवार को दिन खासा गहमागहमी भरा रहा। प्रदेश के नए सीएम ई. पलानीस्वामी के फ्लोर टेस्ट पर वोटिंग के समय खासा हंगामा बरपा। इस दौरान डीएमके सहित पूर्व सीएम पन्नीरसेल्वम समर्थक विधायकों सीक्रेट बैलट वोटिंग की मांग की और स्पीकर की कुर्सी पर जा चढ़े। हंगामा यही नहीं थमा विधायकों ने कागज फाड़ डाले तो कुर्सियां फैंक कर माइक तोड़ दिए। डीएमके विधायकों ने पन्नीरसेल्वम के समर्थन में जमकर हंगामा किया। इस दौरान विधानसभा के प्रेस रूम में लगे स्पीकर को डिस्कनेक्ट किया गया। पन्नीरसेल्वम ने कहा कि विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है, जनता की आवाज को सुनने के बाद ही फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। डीएमके नेता स्टालिन ने फ्लोर टेस्ट किसी और दिन कराने की मांग रखी। वहीं पुलिस ने भी मीडिया को विधानसभा में प्रवेश नहीं करने दिया। जिससे पुलिस की मीडियाकर्मियों के साथ जबरदस्त बहस हुई। हंगामा बढ़ता देखकर स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी। वैसे तमिलनाडूृ विधानसभा में 29 साल बाद यह दूसरा अवसर है जब फ्लोर टेस्ट की नौबत आई हो। इससे पहले एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद एआईएडीएमके में फूट पड़ी थी। जहां जयललिता फ्लोर टेस्ट में हार गई थीं। तमिलनाडु असेंबली में कुल 234 सीटें हैं। एआईएडीएमके 135 तो डीएमके के पास 89 सीटें हैं। वहीं कांग्रेस के पास 8 और मुस्लिम लीग के पास एक सीट है। पार्टी की महासचिव बनी शशिकला के पास 119 विधायकों का समर्थन था। जबकि उनके जेल जाने के बाद पलानीस्वामी ने 123 विधायकों के समर्थन का दावा किया। पलानीस्वामी को सरकार बचाए के लिए 118 विधायकों का आंकड़ा प्राप्त करना जरुरी है। गौरतलब है कि राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने शशिकला गुट के पलानीस्वामी को 2 माह के भीतर ही राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई। जहां पलानी ने 30 मंत्रियों के शपथ ली। गवर्नर ने फ्लोर टेस्ट के लिए 15 दिन का समय दिया था।

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