लंदन। एक नए अध्ययन में यह चेताया गया है कि बेचैनी भरी नींद से ग्रस्त लोगों में भविष्य में पार्किन्सन बीमारी या मनोभ्रंश (डिमेंशिया) होने का खतरा बढ़ जाता है। ।डेनमार्क की आरहुस यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ‘रैपिड आई मूवमेंट स्लीप बिहेवियर डिसॉर्डर’ (आरबीडी) के मरीजों में डोपामाइन की कमी होती है और उनमें मस्तिष्क शोथ का एक प्रकार मौजूद होता है।उन्होंने बताया कि इसका अर्थ है कि ऐसे लोगों में उम्र बढ़ने के साथ पार्किन्सन बीमारी या डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन दर्शाता है कि आरबीडी से पीड़ित मरीजों में भविष्य में पार्किन्सन बीमारी और डिमेंशिया होने का खतरा होता है क्योंकि उनके मस्तिष्क में पहले से ही डोपामाइन की कमी होती है।
पार्किन्सन बीमारी मुख्य रूप से इसिलए होती है क्योंकि डोपामाइन बनाने वाली मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं का समूह काम करना बंद कर देता है। आरबीडी निद्रा विकार में नींद के उस हिस्से में दिक्कतें आती हैं जिसमें सपने आते हैं। 0यह अध्ययन द लांसेट न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।