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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा का अधिकार कानून से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को कहा है कि वह कुछ स्कूलों के वर्तमान हालात को लेकर रिपोर्ट पेश करें। रिपोर्ट में संबंधित स्कूलों की आधारभूत सुविधाओं और शिक्षकों की कमी आदि को लेकर जानकारी पेश करने को कहा गया है। मुख्य न्यायधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश प्रोफेसर राजीव गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से स्कूलों के वर्तमान हालात को लेकर रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को ही कुछ स्कूलों की वर्तमान हालातों को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को कहा गया कि वह 10 स्कूलों का दौरा कर जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश कर देंगे। इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 8 सप्ताह के लिए टाल दी।

याचिका में अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम अप्रैल 2010 से प्रभावी हुआ है। नए स्कूलों पर इसे प्रभावी करने के साथ-साथ पुराने स्कूलों को इसके लिए तीन साल का समय दिया गया। इसके बावजूद भी इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि एक्ट की धारा 12 के तहत निजी स्कूलों को बच्चों की 25 फीसदी सीटे निशुल्क भरनी होती हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे बच्चों को अलग रखकर पढ़ाया जा रहा है। ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं है जहां सभी स्कूलों की फ्री सीटों की जानकारी एक साथ मिले सके और सभी स्कूलों की एक साथ लॉटरी भी नहीं निकाली जा रही है। इसके अलावा 2011 में बने नियम भी अस्पष्ट हैं। फ्री शिक्षा के नाम पर केवल शिक्षा निशुल्क है, जबकि स्कूल संचालक अन्य मदों में पैसा वसूल कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि धारा 28 के तहत शिक्षकों पर ट्यूशन पढ़ाने पर पाबंदी लगाई गई है, लेकिन शिक्षक धडल्ले से ट्यूशन का व्यवसाय कर रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि मानव संसाधन विभाग की संस्था डाईस ने बच्चों पर शिक्षकों के अनुपात को भी तय संख्या से काफी कम बताया है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि 25 फीसदी निशुल्क सीटों को केवल आर्थिक रूप से रखा गया है। इसमें सैक्स वर्कर और घरेलू नौकरों आदि वर्गो को अलग से शामिल नहीं किया गया है। याचिका में गुहार की गई है कि सभी स्कूलों की फ्री सीटों की जानकारी एक साथ मिले और लॉटरी एक साथ निकाली जाए। इसके अलावा किताबें, युनिफॉर्म और परिवहन भी निशुल्क हो। वहीं अधिनियम की पूरी तरह से पालना की जाए।

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