The patient has the right to choose a hospital for better treatment.

जयपुर। मोती डूंगरी थाना इलाके में स्थित एक अस्पताल में 17 साल पहले एक महिला के प्रसव में लापरवाही बरतने के मामले में पुलिस की एफआर को एसीएमएम-17 जयपुर मेट्रो अम्बिका सोनी ने अस्वीकार कर आदर्श नगर, दीपक मार्ग निवासी आरोपी महिला डॉक्टर कंवरदीप रंधावा उर्फ केनी रंधावा के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया है। कोर्ट ने चिकित्सक के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 406, 468 व 471 के अन्तर्गत प्रसंज्ञान लेकर 10 हजार रुपए के जमानती वारंट से 4 जुलाई को तलब किया है।

इस संबंध में जगदीश कॉलोनी रामगढ़ मोड़ निवासी मोहम्मद इलियास ने कोर्ट के जरिए 12 मई, 2014 को मोती डूंगरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। परिवादी का आरोप था कि प्रसव के लिए पत्नी रेशमा को 20 मई 2001 की रात्रि रंधावा अस्पताल में भर्ती कराया था। आॅपरेशन की इजाजत देने के बाद भी नॉर्मल प्रोसेस में चिमटे नुमा औजार से गर्भस्थ शिशु को बाहर निकाला, जिससे शिशु के सिर के अंदरूनी हिस्से में ब्रेन हेमरेज हो गया और आखिर में 6 मई 2013 को उसकी मृत्यु हो गई। परिवादी का यह भी आरोप है कि डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्शन स्लिप व अन्य दस्तावेजों में स्वयं को उच्च योग्यता धारी एमएस बताकर धोखाधड़ी की।

मेडिकल काउंसिल आॅफ इण्डिया ने भी रेशमा बानो के उपचार में डॉक्टर रन्धावा की नेग्लिजेंस मानते हुए मेडिकल प्रेक्टिस पर 22 जनवरी 2016 को 180 दिन की रोक लगा दी थी। इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद अदमवकू गलतफहमी में एफआर पेश कर दी। प्रिस्क्रिप्शन स्लिप में गलत व फर्जी योग्यता अंकित को पुलिस ने टाइप एरर माना था, जिसे कोर्ट ने विश्वसनीय नहीं मानते हुए इसे बेईमानी का आशय माना है। पुलिस की एफआर को नामंजूर करके चिकित्सक के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया है।

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