-जेल में बंद राम-रहीम की मुश्किलें बढ़ी,कोर्ट ने पुलिस की एफआर की अस्वीकार
जयपुर। गुरमीत राम रहीम के सिरसा-हरियाणा स्थित डेरा सच्चा सौदा गई एक महिला के गायब होने के मामले में जवाहर सर्किल थाना पुलिस की ओर से पेश एफआर को एसीएमएम-7, जयपुर मेट्रो विनोद कुमार शर्मा ने अस्वीकार करते हुए एसएचओ या अपने से उच्च अधिकारी से अग्रिम अनुसंधान करवाकर एक माह में विधिनुसार नतीजा पेश करने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने पुलिस को 24 मार्च से 3० मार्च, तक एडमिन ब्लॉक की सीसीटीवी कैमरे की सम्पूर्ण रिकार्डिंग के फोटो ग्राफ प्राप्त कर तफ्तीश करें, जांच अधिकारी यह भी स्पष्ट करें कि गुरमीत राम रहीम को किस आधार पर यह माना कि कोई आपत्तिजनक काम वहां डेरे में नहीं होता था। साथ गवाहों और डेरे का सूक्ष्म निरीक्षण मय फोटोग्राफी के करते हुए जांच करें तथा उक्त अवधि के मध्य पदास्थापित मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर एवं समस्त अफसरों की सूची प्राप्त करें। इसके अलावा 24 मार्च से 3० मार्च तक के डेरे पर कार्यरत समस्त सेवादारों का रिकार्ड प्राप्त कर पूछताछ करें। डेरा प्रमुख राम-रहीम से सूक्ष्म पूछताछ व अनुसंधान करते हुए वाईस चेयरमैन पी.आर. नयन से पूछताछ करते हुए अग्रिम अनुसंधान कर रिपोर्ट पेश करें। परिवादी के हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर उसे विड्रा कराने के लिए धमकाने की जांच भी कोर्ट ने पुलिस को इसी मामले में करने के आदेश दिए हैं। परिवादी का कहना था कि 18 से 21 मई तक उसे जगतपुरा स्थित दीपक उर्फ मुकेश उर्फ नेताराम मीणा के मकान पर बंधक बना कर रखा एवं राजस्थान के डेरा प्रमुख रंजीत सिंह एवं सुमन कामरा तथा हरियाणा से आए 1०-15 लोगों ने धमकाया था। कोर्ट ने इस अर्जी को अनुसंधान का पार्ट मानते हुए उपरोक्त तीनों व्यक्तियों तथा प्रकरण के पूर्व जांच अधिकारी की भूमिका को ध्यान में रखते हुए इनसे भी विस्तृत अनुसंधान करने के आदेश दिए हैं। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जांच अधिकारी को पत्रावली के साथ संलग्न दस्तावेजात व अखबार को देखते हुए नतीजा पेश करनÞ को कहा है।
परिवादी कमलेश रैगर ने कोर्ट को बताया कि 24 मार्च, 2०15 को वह पत्नी व दो बच्चों के साथ सिरसा गया था। 29 मार्च को पत्नी गायब हो गई और कहा कि ध्यान में है। साधना पूरी होने पर जयपुर आ जाएगी। नहीं आने पर 5 मई को डेरा प्रमुख, डीपीएस दत्ता व शाह सतनाम सिंह के खिलाफ इस्तगासा पेश किया। 7 मई को कोर्ट ने जवाहर सर्किल पुलिस को आईपीसी की धारा 365, 344, 346 व 12० बी में मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दिए थ्ो। मामले की जांच थानेदार दिनेश शर्मा, एसीपी शीला फोगावट एवं एसीपी दिनेश शर्मा ने की।
-आईओ ने बरती गंभीर लापरवाही
अदम वकु गैर इलाका में पेश एफआर में पुलिस ने कहा कि गुडडी देवी मन्दबुद्धि की थी, स्वयं ही कहीं चली गई, जबकि आईओ ने ना तो उसे देखा है और ना ही दस्तयाब किया है। पत्रावली में मन्दबुद्धि का कोई रिकार्ड नहीं है। एडमिन ब्लॉक पर पदासीन पी.आर. नयन से पूछताछ करना बताया, लेकिन पत्रावली में नहीं है। डीपीएस दत्ता को एमडी नहीं होना बताया, लेकिन पदाधिकारियों का कोई रिकार्ड ही जब्त नहीं किया। 3० जुलाई, 2०15 को हाईकोर्ट ने एसीपी मालवीय नगर को जांच करने के आदेश दिए थ्ो। रामरहीम से तफ्तीश करना बताया लेकिन पत्रावली में संलग्न नहीं है। जांच अधिकारी ने यह माना है कि गुरमीत रामरहीम लोगों को मदिरा सेवन छुड़वाता था, अविवाहितों को ब्रह्मचर्य का पालन करने के उपदेश देता था, समाज की अनेक बुराईयां भ्रूण हत्या, बाल विवाह को दूर करने का उपदेश देता था, वेश्यावृति में लिप्त लड़कियों को छुड़वाकर शुद्ध देवी नाम देकर डेरे के लोगों में शादी करवाता था, जो जन कल्याण के काम थ्ो। जबकि परिवादी के गंभीर आरोप थ्ो। पुलिस ने उक्त अवधि की रिकार्डिंग में महिला के नहीं दिखने की कही है, लेकिन हार्ड डिस्क के फोटोग्राफ पत्रावली पर नहीं है। महिला डीपीएस दत्ता से बातचीत करती थी। पुलिस ने कॉल डिटेल ही नहीं निकलवाई। राजस्थान ब्लॉक के आगुन्तकों का रजिस्टर तक जब्त नहीं किया। पुलिस ने डेरे में कोई आपत्तिजनक गतिविधि चलना नहीं पाया, लेकिन ऐसी कोई तफ्तीश ही नहीं, इसलिए यह अनुसंधान अपूर्ण है।