जयपुर। सेवा प्रदाता एक कंपनी की करोड़ों रुपए की सर्विस टैक्स चोरी का एक बड़ा खेल केन्द्रीय उत्पाद शुल्क व सेवाकर आयुक्तालय जयपुर ने पकड़ा है। जयपुर नगर निगम और एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ठेके पर कर्मचारी उपलब्ध कराने और कार्य करवाने के एवज में कंपनी ने दोनों ही विभागों से करीब सवा सात करोड़ रुपए की सर्विस टैक्स वसूला, लेकिन इस शुल्क को सरकार के खजाने में जमा नहीं कराया। मामले में पूर्व महापौर ज्योति खण्ड़ेलवाल और अन्य की शिकायतों की जांच की गई तो विभाग को इस कंपनी का टैक्स चोरी का बड़ा खेल पकड़ में आया। विभाग ने कंपनी और कंपनी के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ सवा सात करोड़ रुपए की सर्विस टैक्स चोरी मामले में आर्थिक अपराध न्यायालय जयपुर में परिवाद दाखिल कर दिया है। यह पहला मौका है, जब विभाग ने किसी कंपनी के खिलाफ परिवाद दाखिल किया है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर विभाग भारत सरकार के विशेष लोक अभियोजक रुपनारायण यादव की ओर से आरोपी कंपनी व कंपनी कर्ताधर्ताओं के खिलाफ दाखिल परिवाद में बताया है कि जयपुर नगर निगम व एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ठेके पर कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली मैसर्स प्रहरी प्रोटेक्शन सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड न्यू सांगानेर रोड जयपुर और इस कंपनी के एमडी कमल जीत सिंह व दीपक जैन ने जानते बूझते हुए भी सरकारी खजाने में सवा सात करोड़ रुपए की सर्विस टैक्स जमा नहीं कराई है, जो गैर जमानती अपराध है और देश के लिए एक बड़ा आर्थिक अपराध है। राजस्थान हाईकोर्ट से भी दोनों आरोपियों की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। इन पर आरोप है कि इन्होंने कानून की जानकारी होने पर भी कंपनी का सेवाकर में रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया और ना ही जो सेवाएं देने के बाद शुल्क वसूला, उसे सरकारी खजाने में जमा कराया। इस फर्म व उसके कर्ताधर्ताओं ने जयपुर नगर निगम व एसएमएस मेडिकल कॉलेज में दी गई सेवाओं के बदले करीब सात करोड़ बाइस लाख रुपए की सेवाकर राशि तो प्राप्त कर ली, लेकिन इसे सरकारी खजाने में जमा नहीं कराई। परिवाद में बताया है कि आरोपियों द्वारा सेवाकर राशि जमा नहीं कराने के कारण देश के आर्थिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ा। उनका यह कृत्य देश के लिए घिनौना अपराध है। सेवाकर चोरी करके इन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। विभाग के नोटिस पर कंपनी कर्ताधर्ताओं ने जो चेक दिए, वे भी अनादरित हो गए, जो कंपनी व कर्ताधर्ताओं की बदनीयती को दर्शाता है। प्रहरी फर्म ने नगर निगम को मजदूर उपलब्ध कराने का ठेका ले रखा था। करीब 65.45 करोड़ रुपए कंपनी ने जयपुर नगर निगम से लिए। इसमें 7.16करोड़ रुपए सर्विस टैक्स के लिए, लेकिन इन्होंने यह राशि सरकारी खाते में जमा नहीं कराई। करीब सवा छह लाख रुपए एसएमएस मेडिकल कॉलेज में किए गए सर्विस टैक्स के हैं। सेवाकर चोरी में दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा के प्रावधान है।

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