जयपुर। भारत को अंग्रेजी दास्तान से मुक्ति दिलाने में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का गुलाबी नगरी जयपुर से गहरा नाता रहा है। आजाद न केवल जयपुर की गलियों में घूमे वरन बाबा हरीशचंद्र मार्ग स्थित शिवनारायण मिश्र की हवेली में पनाह ली। जयपुर में अपने दो माह के प्रवास के दौरान उन्होंने युवाओं को देशप्रेम का पाठ पढ़ाया और हथियारों का प्रशिक्षण भी दिया।

जयपुर रियासत के राजवैद्य पं. मुक्तिनारायण शुक्ल के परिवार से उनका बड़ा ही गहरा नाता रहा। राजवैद्य शुक्ल के बेटे अवधेश नारायण शुक्ल चंद्रशेखर आजाद के अच्छे मित्रों में थे। एक मर्तबा अवेधश नारायण कानपुर गए। उस समय वे चंद्रशेखर आजाद से मिले। जहां चंद्रशेखर आजाद ने उनको एक डंडा भेंट किया। डंडा सौंपते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि इस डंडे से ही अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए उन्हें भारत से खदेड़ा जाएगा। यह डंडा आज भी उनकी बेटी जयपुर के महेश नगर निवासी ममता तिवाड़ी के पास रखा हुआ है। जिसे ममता ने अपने पिता शुक्ल व उनकी पत्नी लोपा मुद्रा की तस्वीर के पास सहेज कर रखा हुआ है।

आजाद की साईकिल भी है मौजूद
ममता तिवाड़ी ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद शिवनारायण मिश्र की गली स्थित उनके पिता की हवेली में आकर रहते थे। जहां चंद्रशेखर आजाद द्वारा उपयोग में ली गई एक साइकिल आज भी सुरक्षित है। इस साइकिल को बाद में वे अपने साथ महेश नगर ले आईं। इस साइकिल पर बैठाकर उनके पिता ने आजाद को दौसा पहुंचाया था। उनके मकान में एक गुप्त रास्ता भी था। जब भी कोई अंग्रेज उनके घर पर आता तो क्रांतिकारी इसी रास्ते से होकर बाहर चले जाते थे। शुक्ल ने इच्छा जताई की आजाद यह साइकिल उनके पास छोड़ जाए तो वे आजाद खुश होकर यह साइकिल उनके पास ही छोड़कर चले गए।

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