cm Ashok Gehlot
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जयपुर। दो बार राजस्थान की बागडोर संभालने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर सीएम बनेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन दिन तक चले मंथन, चिंतन और पार्टी नेताओं के सुझाव के बाद अशोक गहलोत को सीएम बनाने की घोषणा की, साथ ही राजस्थान में कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने वाले पीसीसी चीफ सचिन पायलट को भी डिप्टी सीएम पद के लिए राजी किया। वे डिप्टी सीएम पद नहीं बनाना चाहते थे और बिना किसी पद के काम करने के लिए तैयार थे, लेकिन राहुल गांधी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने समझाइश करके उन्हें डिप्टी सीएम पद के लिए राजी किया। तीन दिन तक चले घटनाक्रम से साफ हो गया कि अशोक गहलोत को सीएम बनाने में पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं की महती भूमिका रही।

वे सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को यह समझाने में कामयाब रहे कि अशोक गहलोत के सीएम बनने से आगामी लोकसभा चुनाव में राजस्थान को अच्छी सफलता मिल सकती है। गहलोत को सीएम बनाना असरदार रहेगा। हालांकि सचिन पायलट ने भी राहुल गांधी से कहा कि जब मध्यप्रदेश में पीसीसी चीफ कमलनाथ को सीएम बना सकते हैं, उन्हें क्यों सीएम बनने से रोका जा रहा है। जब कांग्रेस 21 सीटों पर पहुंच गई थी, तब उन्होंने कार्यभार संभाला था और कांग्रेस को सत्ता के शिखर तक पहुंचाया है। हालांकि दोनों दावेदारों के अपने अपने तर्कों से आलाकमान तीन दिन तक पसोपेश में रहा, लेकिन बाद में अनुभवी नेताओं की तिकड़ी अहमत पटेल, मुकुल वासनिक और आनन्द शर्मा के सुझाव पर पार्टी ने अशोक गहलोत को सीएम बनाने और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनने की घोषणा की। भले ही सचिन पायलट डिप्टी सीएम बनने को राजी हो गए, लेकिन उनके और उनके समर्थकों में सीएम नहीं बनने की कसक देखी जा सकती है।

खैर सार्वजनिक तौर पर गहलोत और पायलट ने एक-दूसरे का सम्मान करते हुए कहा कि वे मिलकर राजस्थान के विकास को आगे बढ़ाएंगे और जनता से किए गए हर वादे को पूरा करेंगे।

– चुनाव परिणाम से पहले पटकथा लिख दी गई…
राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार और कांग्रेस के सत्ता में आने को लेकर हर कोई आश्वस्त था। ऐसे में सत्ता में आने पर सीएम कौन बनेगा, इसे लेकर अशोक गहलोत, सचिन पायलट और रामेश्वर डूडी में टक्कर थी। लेकिन डूडी के चुनाव हारते ही वे इस पद की दौड़ से बाहर हो गए। वहीं अशोक गहलोत और सचिन पायलट अपने समर्थकों और लॉबिंग के दम पर सीएम के लिए लग गए। लेकिन चुनाव परिणाम से पहले ही गहलोत के पुराने मित्र और उनके समकक्ष अहमद पटेल ने पहले ही सीएम पद पर किसे विराजमान किया जाएगा, उसकी पटकथा लिख दी थी और इस पटकथा को मंजूरी भी मिल गई थी। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, मुकुल वासनिक और आनन्द शर्मा अशोक गहलोत को सीएम बनाने के पीछे तर्क दे रहे थे कि उनके सीएम बनने से हर जाति का समर्थन मिलेगा और जनता में उनकी अच्छी इमेज से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा फायदा मिल सकता है। हालांकि राहुल गांधी का झुकाव सचिन पायलट के पक्ष में था। वे जानते थे कि चार साल में सचिन पायलट ने काफी मेहनत की, जिसके चलते ही कांग्रेस सत्ता के शिखर तक पहुंची है। लेकिन वे भी सचिन पायलट को सीएम नहीं बना सके।

राहुल गांधी के कहने पर पायलट डिप्टी सीएम बनने के लिए राजी हो गए। पायलट डिप्टी सीएम भी नहीं बनना चाहते थे। वे कह चुके थे कि बिना पद के ही संगठन में काम करते रहेंगे। दो दिन तक उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए और उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की बताई है। बाद में पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह पायलट के साथ बैठे और उन्हें डिप्टी सीएम बनाने के लिए राजी किया। डिप्टी सीएम पद की सहमति देने पर वे दोनों राहुल गांधी के पास पहुंचे और पायलट के मानने की बात कही। वहां अशोक गहलोत भी थे। चारों नेताओं की मौजूदगी में गहलोत के सीएम और पायलट के डिप्टी सीएम की घोषणा की गई। तीन दिन से चल रहे इस पॉलिटिकल ड्रामे का अंत हुआ।

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