बीकानेर. शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला के गृह जिले में ही सरकारी स्कूल्स के स्टूडेंट्स को टीचर्स के लिए पदयात्रा करनी पड़ रही है। कालासर गांव के स्टूडेंट्स अपने गांव से बीकानेर के लिए पैदल रवाना हो गए हैं। इन स्टूडेंट्स ने पहले तालाबंदी की। फिर पैदल ही 50 किलोमीटर की यात्रा कर माध्यमिक शिक्षा निदेशक से मिलने के लिए रवाना हो गए। इसके बाद से शिक्षा विभाग के अधिकारी इन स्टूडेंट्स से बात करने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। स्टूडेंट्स निदेशालय तक पैदल जाने का जिद कर बैठे हैं। अब तक पंद्रह किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कालासर में इस समय करीब 500 स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं, लेकिन स्कूल में टीचर्स के 6 पद खाली पड़े हैं। ऐसे में दसवीं के स्टूडेंट्स का कोर्स भी पूरा नहीं हुआ, जबकि डेढ़ महीने बाद एग्जाम शुरू हो जाएंगे। इसी से परेशान स्टूडेंट्स ने स्थानीय अधिकारियों को कई बार टीचर्स भेजने की मांग की है, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। स्कूल के स्टूडेंट्स करीब एक महीने से टीचर्स की डिमांड कर रहे थे। आखिर परेशान होकर गुरुवार सुबह स्कूल पर ताला जड़ दिया। शुक्रवार तक तालाबंदी जारी रही। आखिर दिन में दो बजे सभी बच्चे बीकानेर के लिए पैदल ही निकल गए। जो पंद्रह किलोमीटर की यात्रा कर लाखूसर गांव पहुंच गए हैं। जहां रात्रि विश्राम करने के बाद सुबह बीकानेर के लिए फिर रवाना होंगे। खास बात ये है कि इस आंदोलन में सिर्फ स्कूली स्टूडेंट्स नहीं है। बल्कि उनकी मां भी पैदल चल रही हैं। 150 से ज्यादा बच्चों के साथ करीब सत्तर महिलाएं भी हैं। कुछ महिलाएं अपने गांव के स्कूल की दशा सुधारने के लिए पैदल चल रही हैं। कोई बच्चों का भविष्य बनाने के लिए। टीचर्स की मांग को लेकर स्टूडेंट्स ने पैदल बीकानेर आने की बात कही तो गांव की सरपंच भी उनके साथ ही पैदल चल पड़ी है। कालासर सरपंच पूनम देवी के साथ उनके पति रामलक्ष्मण गोदारा और समर्थक भी हैं। कई ग्रामीण भी साथ में हैं। इनके बच्चे तो इस स्कूल में नहीं पढ़ रहे। गांव के बच्चों की बात रखने के लिए वो भी साथ रवाना हुए हैं। ऐसा नहीं है कि गांव के स्टूडेंट्स सीधे पैदल रवाना हो गए। इससे पहले शिक्षकों के रिक्त पद भरने की मांग को लेकर तालाबंदी की गई। प्रिंसिपल सहित अन्य टीचर्स को बंदी बनाया गया। नारेबाजी भी की गई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं आया। ऐसे में अब पैदल यात्रा का मार्ग चुना गया है। अब बीकानेर एसडीएम अशोक बिश्नोई, जिला शिक्षा अधिकारी की सीवीओ मनीषा अरोड़ा ने आंदोलन कर रहे स्टूडेंट्स को समझाने का प्रयास किया, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं आ सका।

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