-जनप्रहरी एक्सप्रेस
जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जालोर के सुराणा में टीचर की पिटाई से दलित बच्चे की मौत की जांच सीबीआई को देने के संकेत दिए हैं। गहलोत ने कहा, जालोर की घटना में अब भी लोग आ रहे हैं। बेवजह गलत बातें फैला रहे हैं। अरे भाई, पहले आप सच्चाई तो जानिए, आप कहें तो यह केस सीबीआई को दे देते हैं। अशोक गहलोत ने कहा अगर आपको राजस्थान पुलिस पर विश्वास नहीं है ताे केस सीबीआई को दे देंगे। हमारा क्या लगता है, पर बिना मतलब राजस्थान को बदनाम करने का हक किसी को नहीं है। कुछ लोग जो चाहे बातें फैला रहे हैं। गहलोत जयपुर में राजस्थान पुलिस एकेडमी में शुक्रवार को दीक्षांत परेड में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। सीएम ने प्रदेश में अपराध के आंकड़े बढ़ने के पीछे कम्पल्सरी एफआईआर की व्यवस्था को कारण बताया और कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आधे से ज्यादा केसों के झूठ होते हैं। गहलोत ने कहा यहां पर क्राइम कंट्रोल में है। उन्होंने कहा कि रेप की घटनाएं कौन करता है,कोई विदेशी आता है क्या? अधिकांश घटनाएं परिवार के जान-पहचान वाले करते हैं, उनके रिलेटिव करते हैं। परिवार के मिलने वाले होते हैं। अधिकांश जगह वो ही करते हैं। महिलाओं के खिलाफ जो क्राइम है, उसमें आधे से ज्यादा यानी लगभग 56 फीसदी झूठे हैं। झूठे मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। हमने उनके खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी है। गहलाेत ने कहा- डीजीपी मेरे पास ही खड़े हैं। उनसे मैं कहना चाहूंगा कि जो लोग झूठे मुकदमे दर्ज करवाते हैं, उन्हें छोड़ना नहीं चाहिए। झूठे मुकदमे करवाने वालों के खिलाफ संगीन केस हो और उसे लॉजिकल अंत तक लेकर जाएं। ताकि और लोग ऐसा करके प्रदेश को बदनाम करने की हिम्मत नहीं करें। अशोक गहलोत ने कहा कि अगर किसी प्रदेश में रेप, क्राइम बढ़ने की खबरें आती हैं तो उसकी बदनामी होती है। मेरी खुद की और सरकार की भी थ्योरी है कि अगर कोई आलोचना करता है तो बुरा कभी मत मानो। बुरा तब लगता है, जब बिना तथ्य अफवाहें चलाते हैं। अशोक गहलोत ने कहा- राजस्थान में दूसरे राज्यों से क्राइम कम है। आरोप लगाने वाले कई नेता समझ नहीं रहे हैं। पहले लोग थानों में बेइज्जती के डर से जाते नहीं थे। हमने थानों में स्वगत कक्ष बनाए और कम्पलसरी एफआईआर का प्रावधान किया। कम्पलसरी एफआईआर क्रांतिकारी कदम है। अब जो भी थाने में शिकायत लेकर जाता है। उसकी एफआईआर तो करनी ही पड़ती है। यह क्रांतिकारी कदम हर राज्य में लागू होना चाहिए। हमने सरकार बनते ही कह दिया था कि एफआईआर अनिवार्य करने से क्राइम के नंबर बढ़ेंगे। विपक्षी पार्टी के लोग ऐसी अफवाहें फैलाते हैं कि क्राइम बढ़ गया। वे नेता एनसीआरबी की रिपोर्ट का पहले पेज का पैरा पढ़ लें। उनकी बोलती बंद हो जाएगी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के शुरू में ही लिखा है कि हर स्टेट के अलग-अलग हालात और अप्रोच होती है। क्राइम के डेटा को आप क्राइम बढ़ना नहीं मान सकते। इतनी अच्छी तरह से लिखा हुआ है। फिर भी इन्हें समझ नहीं आता। बेवजह स्टेट को बदनाम करते हैं। क्राइम के आंकड़े राज्यों से जाते हैं। हम भेजते हैं। वहीं तो एनसीआरबी में जाते हैं। विपक्ष अपनी जिम्मेदारी निभाए, लेकिन मामले में सच्चाई तो होनी चाहिए। उदयपुर में कन्हैयालाल की घटना को हमने जिस तरह हैंडल किया, उसकी पूरे देश में तारीफ हो रही है।
प्रदेश में पिछले 28 महीनों (2020 से अप्रैल 2022) तक दुष्कर्म के 13,890 केस दर्ज हुए हैं। इनमें से 11,307 दुष्कर्म नाबालिग लड़कियों से हुए। वहीं दो साल में 12 साल से छोटी उम्र की 170 बच्चियों से दरिंदगी के मामले सामने आए। सरकार ने ऐसे मामलों में 2013 में फांसी की सजा का प्रावधान किया। रेप केस के मामलों में राजस्थान 2020 से टॉप पर है। इसके बाद से दुष्कर्म और महिला हिंसा को लेकर अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। इस दौरान कुछ आरोपियों को पॉक्सो कोर्ट ने फांसी की सजा भी सुनाई, लेकिन अब तक इन मामलों में सजा पूरी नहीं हुई है।

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