जयपुर। केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर जाट समाज ने बुधवार से भरतपुर के उच्चैन तहसील के गांव जयचौली रेलवे स्टेशन के पास महापड़ाव शुरू कर दिया गया है। जाट समाज के लोग 22 जनवरी तक गांधीवादी तरीके से अपना धरना देंगे। वहीं जाटों के महापडाव को देखते हुए बुधवार सुबह से ही जयचौली के आसपास और ट्रैक पर पुलिस का जाब्ता तैनात किया गया है। यहां छह आरएसी की कंपनी, संबंधित थाने समेत 180 पुलिसकर्मी, सौ आरपीएफ और जीआरपीएफ के जवान मौके पर मौजूद है। आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया कि केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर भरतपुर के उच्चैन तहसील के गांव जयचौली रेलवे स्टेशन के पास महापड़ाव शुरू किया है। साथ ही वह सरकार को 22 जनवरी तक का अल्टीमेटम देते हैं। अगर 22 जनवरी के बाद भी सरकार की ओर से पहल नहीं की जाती तो पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। फिर सरकार यह ना कह दे कि जाटों ने सीधे ही पटरियां उखाड़ कर ट्रेनें रोक दी। उन्होंने कहा कि 2017 का आंदोलन सरकार देख चुकी है। अगर इसकी पुनरावृत्ति होती है तो इसमें सरकार जिम्मेदार होगी। अभी हम यहां गांधीवादी तरीके से आंदोलन रख रहे हैं। हमने सरकार को पूरा मौका दिया है कि वो भरतपुर-धौलपुर के युवाओं के बारे में सोचे और फिर निर्णय ले। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए यहां पुलिस जाब्ता तैनात किया गया है। ट्रैक भी पुलिसकर्मी मौजूद हैं। गांव में जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। यहां से जयचौली का रेलवे स्टेशन 5 सौ मीटर की दूरी पर है। महापड़ाव में अभी समाज के लोगों का आना जारी है। उल्लेखनीय है कि नेम सिंह फौजदार ने 7 जनवरी को हुंकार सभा में कहा था कि भरतपुर-धौलपुर के जाटों को आरक्षण नहीं दिया तो 17 जनवरी को जयचोली (भरतपुर) गांव के पास दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर महापड़ाव डाला जाएगा। अगर सरकार नहीं मानी तो दूसरा पड़ाव बेडम गांव (भरतपुर) और तीसरा रारह (भरतपुर) में होगा। दूसरे और तीसरे पड़ाव की तारीख अभी तय नहीं है। पहले रेल रोकेंगे। इसके बाद रोड जाम करेंगे। गौरतलब है कि भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग 1998 से चली आ रही है। 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने भरतपुर और धौलपुर जिलों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था। 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर 10 अगस्त 2015 को भरतपुर- धौलपुर के जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया। लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 23 अगस्त 2017 को पूर्ववर्ती वसुंधरा राज में दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया। लेकिन केंद्र ने यह आरक्षण नहीं दिया। सितंबर 2021 में जब जाट समाज ने चक्का जाम का ऐलान किया था। तब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 28 दिसंबर 2021 को दोनों जिलों के जाटों को केंद्र की ओबीसी में आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश पत्र लिखा था। जिसके बाद आरक्षण संघर्ष समिति ने दिल्ली ओबीसी कमीशन मिली। केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी मुलाकात की, लेकिन आरक्षण नहीं मिल सका।

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