-टीबी और लंग कैंसर के लक्षणों में समानता से लंग कैंसर की पहचान में हो रही देरी।

जयपुर। फेफडंे के कैंसर और टीबी के लक्षणों में समनता के कारण कई बार फेफडंे के कैंसर रोग की पहचान और उपचार की षुरूआत में देरी देखी जाती है। सही समय पर रोग की सही पहचान ना होने के कारण रोगी को कैंसर मुक्त करना काफी मुष्किल हो जाता है। कैंसर विषेषज्ञों के अनुसार फेफडं के कैंसर के अधिकांष रोगी अपनी बीमारी की षुरूआती अवस्था को टीबी मानकर उसका उपचार करवा रहे होते हैं और रोग के फैलने के बाद कैंसर की पहचान होती है। ऐसे में रोगी के षरीर में कैंसर फैल चुका होता है।

भगवान महावीर कैंसर हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के रेडिएषन आॅन्कोलाॅजिस्ट डाॅ नरेष जाखोटिया ने बताया कि कफ, लम्बे समय तक बुखार, सांस का फूलना जैसे लक्षण टीबी और फेफडें के कैंसर दोनों ही बीमारियों में होते है, ऐसे में लंबे समय तक रोगी के सही रोग की पहचान नहीं हो पाती है। डाॅ जाखोटिया ने बताया फेफडंे के कैंसर और टीबी दोनों की बीमारी में धु्रमपान सामान्य कारण है। ध्रुमपान के कारण बढ रही मृत्युदर विष्वभर में एक साल में 1 ण्61 मिलियन लोग फेफडंे के कैंसर के सामने आते है। पुरूषों में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफडंे का कैंसर प्रथम स्थान पर है। फेफडंे के कैंसर का प्रमुख कारण स्मोकिंग है। नेषनल इंस्टीटयूट आॅफ कैंसर प्रिवेंषन एंड रिसर्च के अनुसार स्मोकिंग के कारण 2010 में देष में 9,30,000 मौत हुई है।   इन लक्षणों की पहचान है जरूरी ऽ लंबे समय तक खांसी का ठीक ना होना। ऽ सांस का फूलना। ऽ सीने में दर्द होना खासतौर पर गहरी सांस लेते समयऽ वजन का तेजी से कम होनाऽ भूख ना लगनाऽ आवाज में बदलाव आनाऽ सीधे कंधे और हाथ में दर्द होना

लंग कैंसर के प्रमुख कारण ऽ पेसिव स्मोकिंग अतः अन्य व्यक्तियों के स्मोकिंग करने से धुएं में लगातार सम्पर्क में रहना। ऽ रसायन, विकिरण, वायू प्रदूषण के सम्पर्क में रहना। ऽ लम्बे समय से चल रही टीबी की परेषानी। ऽ परिवार में किसी व्यक्ति को लंग कैंसर होना। लंग कैंसर रोग की गलत पहचान होने या पहचान ना होने की वजह से रोगी के सही उपचार की षुरूआत नहीं हो पाती है। भारत जैसे विकासशील देशों में इस रोग की देर से पहचान का मुख्य कारण आमजन में जागरूकता की कमी है। अगर तेज बुखार, खांसी और सांस फूलने की स्थिति में अगर रोगी टीबी का उपचार ले रहा है और दो सप्ताह तक उसकी स्थिति में सुधार नहीं तो रोगी डाॅक्टर से सम्पर्क कर पुन जांच करवाएं।

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