Rajasthan High Court

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना तलाक लिए दूसरा विवाह करने वाली महिला दूसरे पति से भरण पोषण लेने की हकदार नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने निचली अदालत की ओर से भरण पोषण के तौर पर दो हजार रुपए प्रतिमाह अदा करने के आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश बनवारीलाल शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश विनोद नाथवानी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता रामावतार बोचल्या ने अदालत को बताया कि भारती का विवाह मनोज कुमार के साथ हुआ था। दोनों के बीच विवाद होने पर भारती ने कानूनी रूप से तलाक लिए बिना ही याचिकाकर्ता से 23 दिसंबर 2011 को विवाह किया। दूसरे पति से भी विवाद होने पर मार्च 2012 से दोनों अलग रहने लगे। इसी दौरान भारती ने निचली अदालत में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत प्रार्थना पत्र पेश कर गुजारा भत्ता की गुहार की। जिसे स्वीकार करते हुए निचली अदालत ने 26 अक्टूबर 2013 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को प्रतिमाह दो हजार रुपए भारती को देने के आदेश दिए। इस आदेश की अपील को जिला न्यायालय ने भी खाजिर कर दिया। जिसे याचिका में चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता पहले से विवाहित है। ऐसे में वह दूसरे पति से घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत भरण पोषण लेने की हकदार नहीं है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने भरण पोषण देने के निचली अदालत के आदेशों को रद्द कर दिया है।

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