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जयपुर। समेकित बाल विकास सेवाएं/आईसीडीएस विभाग में 18 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में 25 जुलाई को गिरफ्तार किए गए व्यवयायी भवानी सिंह पालावत (45) निवासी विवेक विहार-श्याम नगर को एसीबी मामलों की विश्ोष अदालत में जज बलजीत सिंह ने 5०-5० हजार की दो जमानत एवं एक लाख रुपए के मुचलके पर जेल से रिहा करने के आदेश दिए।

मामले में पालावत पर एसीबी का आरोप है कि उसने विभाग की शासन सचिव रोली सिंह से प्रकरण में 1० मई को गिररफ्तार किए गए दलाल कमलजीत राणावत की मुलाकात करवाई थी। एसीबी का यह भी आरोप है कि काम कराने के 1० लाख रुपए मांगे तथा 5 लाख रुपए कमलजीत सिंह से प्राप्त किए थ्ो। पालावत ने राणावत को भी दूसरे दलाल सी.के. जोशी से मिलवाया था। इसके सबूत मोबाईल नम्बरों के रिकार्डिंग (सर्विलांस पर लेकर) से मिले हैं। फ्लोर डैस्क सप्लाई होने से विभाग को 6.5 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचता। मामले में अब तक राणावत, जोशी के अलावा सहायक निदेशक सोमेश्वर देवड़ा भी गिरफ्ततार हो चुका है।

-ठेकेदार की अग्रिम जमानत खारिज
भ्रष्टाचार करने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देने वाली ठेका फर्म टेक्नो क्राफ्ट एसो. के प्रोपराईटर विष्णु मोहनलाल बनवानी (49) निवासी मुगल लेन, मरीन वेस्ट मुम्बई की अग्रिम जमानत अर्जी एसीबी कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। एसीबी ने फर्म को अयोग्य माना है। भ्रष्टाचार उजागर होने पर सरकार ने 26 फरवरी को टेण्डर निरस्त कर दिया था। बहाल कराने के लिए फर्म ने श्रम विभाग में पीएस भगवानदास को एक लाख रुपए की रिश्वत भी दी थी। मामले में भगवानदास के अलावा वित्तीय सलाहकार स्मिता सरीन, संयुक्त निदेशक पांचूराम शर्मा, कपिल शर्मा सहित अन्य के खिलाफ जांच लम्बित है।

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