लखनऊ। दुष्कर्म के मामले में फरार चल रहे सपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति आखिरकार सत्ता बदलते ही यूपी पुलिस की पकड़ में आ गए। उन्हें पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया। इस मामले में पुलिस ने उनके बेटे और भतीजे सहित 7 आरोपियों को पहले ही हिरासत में लिया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गायत्री प्रजापति के खिलाफ यूपी पुलिस ने दुष्कर्म का मामला दर्ज किया। तभी से गायत्री प्रजापति भूमिगत हो गए। इस दौरान उनकी तलाश में पुलिस ने कई जगह दबीश दी तो उनके देश से बाहर जाने की संभावनाओं को देखते हुए एयरपोर्ट पर हाईअलर्ट भी कर दिया गया। मामले के अनुसार गायत्री प्रजापति ने दुष्कर्म पीडि़ता को वर्ष 2014 में नौकरी और प्लॉट दिलाने के बहाने लखनऊ स्थित गौतमपल्ली आवास पर बुलाया। यहां पर पीडि़ता को चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे पिला दिया। जिससे वह अपना होश खो बैठी। बेहोशी की हालत में ही मंत्री व उसके सहयोगियों ने उसके साथ गैंगरेप किया और उसका अश्लील वीडियो बना लिया। इसी वीडियो के जरीए गायत्री व उसके सहयोगी उसे व उसकी बेटी को लगातार दो साल तक अपनी हवस का शिकार बनाते रहे। बाद में पीडि़ता ने अक्टूबर 2016 में मामले में पुलिस को शिकायत दी। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर पीडि़ता हाईकोर्ट के रास्ते सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची। जहां सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को भांपकर गायत्री प्रजापति व उसके साथियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने व आठ हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने के यूपी पुलिस को निर्देश दिए। कोर्ट की फटकार के बाद यूपी पुलिस ने गायत्री प्रजापति सहित अशोक तिवारी, पिंटू सिंह, विकास शर्मा, चंद्रपाल, रुपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ पास्को एक्ट सहित अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर किया।

-फर्श से अर्श तक पहुंचे गायत्री
गायत्री प्रजापति की स्थिति को देखे तो वर्ष 2002 तक वह बीपीएल कार्डधारकों की श्रेणी में आता था। बाद में इन 10 सालों के भीतर ही वह धनकुबेर बन गया। गायत्री के खिलाफ 942 करोड़ से अधिक की संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन सरकार में बैठे रहने के कारण उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। हलफनामे में उसने अपनी कुल संपत्ति 10 करोड़ बताई। साल 2009-10 में गायत्री की सालाना आय 3.71 लाख रुपए थी, लेकिन अब स्थिति एकदम उलट देखने को मिल रही है। अब गायत्री बीएमडब्ल्यू सरीखी से नीचे पैर नहीं रखते। गायत्री और उसके परिजनों व करीबियों के स्वामित्व वाली 13 कंपनियां आरोपों के घेरे में है। जिनमें जबदरदस्त फर्जीवाड़ा होने की शिकायत सामने आई। इनके निदेशक उनके दोनों पुत्र, भतीजे और भाई है। उनके खनन मंत्री रहते जब अनियमितताओं को लेकर हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए तो यूपी सरकार सहित गायत्री सकते में आ गए। जिस पर सालभर पहले सीएम अखिलेश ने मंत्रीमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बाद में सपा में चली उठापठक के बीच उन्हें वापस मंत्रीमंडल में लेना पड़ा।
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