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– सरकारी भूमि का गलत तरीके से मुआवजा उठाने का मामला, सत्रह जनों ने 15 सौ वर्गमीटर जमीन के पट्टे लिए।
जयपुर। कृषि के लिए राज्य सरकार की ओर से आवंटित 218 एकड़ सरकारी भूमि को वापस लेने के बाद नियम विरुद्ध तरीके से उसके बेशकीमती आवासीय पट्टे लेने के मामले में कोर्ट 27 जुलाई को आदेश देगी। एसीएमएम-7 कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले में आदेश होना था, जिस पर अब कोर्ट ने 27 जुलाई की तारीख तय की है। पुलिस ने मामले में अनुसंधान पूरा करके अपनी नतीजा रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। कोर्ट पुलिस की नतीजा रिपोर्ट के आधार पर फैसला देगी। पुलिस ने अनुसंधान में परिवाद में दर्शाए आरोपियों पर जुर्म होना प्रमाणित माना है।

आरोपियों ने नियम विरुद्ध तरीके से सरकारी जमीन के आवासीय पट्टे लेकर सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। आवंटित की गई सरकारी जमीन का मुआवजा उठाना गलत है। आरोपियों ने साजिश करके बेशकीमती आवासीय पट्टे प्राप्त किए हैं, जो इन्होंने गैरकानूनी तरीके से लिए हैं, इसलिए मामले में प्रसंज्ञान लेकर आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि कृषि को बढ़ावा देने के लिए पच्चीस साल के लिए 218 एकड़ कृषि भूमि बैटर फार्मिंग सोसायटी को दी थी। इस समिति के मूल सदस्यों को हटाकर अन्य लोग सदस्य बन गए और सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत करके यह जमीन अपने नाम करवा ली और तहसीलदार व जिला प्रशासन ने इन्हें खातेदार अधिकार भी दे दिए।

समिति के 17 सदस्यों ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके अवाप्ति के बदले मुआवजा मांगा और सरकारी अधिकारियों ने भी नियम-कायदों को धता बताते हुए हर सदस्य को 1516-1516 वर्गमीटर की आवासीय भूमि आवंटित कर दी। परिवाद में कृषि भूमि लेने वाली सोसायटी के सदस्य आरोपी बनाए गए हैं। परिवाद में अमर सिंह जाट, अजय कुमार जाट, चन्द्र प्रकाश गुलेरिया, गोपी राम रैगर, गोपाल राम हरिजन, हरिनारायण मीणा, हनुमान सिंह जाट, राधा कृष्ण चौधरी, रतन सिंह, रणवीर सिंह जाट, राकेश कुमार सिंह, राजेन्द्र सिंह पूनिया, सूरजा राम, शांति देवी बलाई, संजीव आर्य, सुमित शर्मा व विजयपाल आर्य को आरोपी बनाया है। पूर्व राज्यपाल डॉ. कमला ने भी 1516 वर्गमीटर का पट्टा गलत तरीके से प्राप्त किया था।

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