hindutv himaalay se ooncha aur samudr se bhee gahara: modee
Prime Minister narendra Modi

नई दिल्ली। सबसे पहले, मैं पुर्तगाल के एक महान राजनेता और एक वैश्विक राजनीतिज्ञ, पूर्व राष्ट्रपति एवं पूर्व प्रधानमंत्री  मारियो सोरेस के निधन पर पुर्तगाल की जनता एवं वहां की सरकार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। वह भारत और पुर्तगाल के बीच राजनयिक संबंधों की पुन: स्थापना के शिल्पी थे। हम दुख की इस घड़ी में पूरी तरह से पुर्तगाल के साथ खड़े हैं। सूरीनाम के उपराष्ट्रपति  माइकल अश्विन अधिन,  पुर्तगाल के प्रधानमंत्री डा. एंटोनियो कोस्टा, कर्नाटक के राज्यपाल  वजु भाई वाला, कर्नाटक के मुख्यमंत्री, माननीय मंत्रीगण, भारत और विदेशों से पधारे गणमान्य व्यक्ति, और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, प्रवासी भारतीयों के वैश्विक परिवार। आप सभी का 14वें प्रवासी भारतीय दिवस पर स्वागत करना मेरे लिए अत्यंत हर्ष की बात है। दूर-दराज से यात्रा कर हजारों की संख्या में आप लोग आज यहां पधारे हैं। लाखों लोग डिजिटल माध्यमों के जरिए इस कार्यक्रम से जुड़े हैं। यह भारत के सबसे महानतम प्रवासियों में से एक महात्मा गांधी के स्वदेश लौटने का उत्सव मनाने का दिन है। ये एक ऐसा पर्व है जिसमें एक प्रकार से मेजबान भी आप हैं, मेहमान भी आप ही हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें विदेश में रहने वाली संतान से मिलने का अवसर है। अपनों को अपनों से मिलना, अपने लिए नहीं सबके लिए मिलना। इस आयोजन की असली पहचान आन-बान-शान, जो कुछ भी है, आप सब लोग हैं। आपका इस पर्व में सम्मिलित होना हमारे लिए बहुत गर्व की बात है। आप सबका तहे दिल से स्वागत है।  हम इस उत्सव को खूबसूरत शहर बेंगलुरू में मना रहे हैं। मैं इस कार्यक्रम के आयोजन और इसे सफल बनाने के लिए किए गए सहयोग तथा प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री रमैय्या जी और उनकी पूरी सरकार को धन्यवाद देता हूं। मुझे पुर्तगाल के महामहिम प्रधानमंत्री, सूरीनाम के उपराष्ट्रपति, मलयेशिया एवं मॉरीशस के माननीय मंत्रियों का इस कार्यक्रम में स्वागत करते हुए विशेष हर्ष हो रहा है। उनकी उपलब्धियां, उन्होंने जो नाम अपने समाज के बीच और विश्व में कमाया है, हम सभी के लिए बड़ी प्रेरणादायक हैं। यह दुनिया भर में भारतीय मूल के लोगों की सफलता, महत्व एवं व्यवहार-कुशलता को प्रदर्शित करता है। 30 लाख से अधिक प्रवासी भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। लेकिन विदेशों में रहने वाले भारतीयों को उनके संख्याबल के कारण ही महत्व नहीं मिलता। भारत में, समाज के लिए और जिस देश में वे रहते हैं, वहां के लिए दिए गए योगदान के कारण उन्हें सम्मान मिलता है।

विदेशों और विश्व भर के समुदायों के बीच, भारतीय मूल के लोग जो रास्ता चुनते हैं, जिन लक्ष्यों को तय करते हैं, वो भारतीय संस्कृति, लोकाचार और मूल्यों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है। उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन, कानून का पालन करने वाली छवि और शांतिप्रिय प्रकृति विदेशों में अन्य अप्रवासी समुदायों के लिए रोल मॉडल है।आपकी प्रेरणा कई प्रकार की है, उद्देश्य अनेक हैं, आपके मार्ग भिन्‍नझ्रभिन्‍न हैं, हर किसी की मंजिल भी अलग है लेकिन हम सबके भीतर एक ही भाव विश्‍व है, और वो भाव जगत है भारतीयता। प्रवासी भारतीय जहां रहे उस धरती को उन्‍होंने कर्मभूमि माना, और जहां से आए उसे मर्मभूमि माना। आज आप उस कर्मभूमि की सफलताओं को, उसकी गठरी बांध करके उस मर्मभूमि में पधारे हैं जहां से आपको, आपके पूर्वजों को, अविरत प्रेरणा मिलती रही है।प्रवासी भारतीय जहां रहे वहां का विकास किया और जहां के हैं वहां भी अपना अप्रतिम रिश्‍ता जोड़ करके रखा, हो सके उतना योगदान किया।

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