Demand in the Lok Sabha to restore free educational system for children of martyrs

नयी दिल्ली। लोकसभा में आज शहीदों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने वाले प्रावधान में बदलाव का मुद्दा उठा और इसे शहीदों का अपमान करार देते हुए केंद्र सरकार से इसमें तत्काल हस्तक्षेप करते हुए पुरानी व्यवस्था को फिर से बहाल कराए जाने की मांग की गई । लोकसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा की किरण खेर ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश के लिए जान गंवाने वाले, लापता हो जाने वाले या दिव्यांग सैनिकों के बच्चों की ट्यूशन फीस, हॉस्टल फीस, किताबों का खर्च, स्कूल और घर के कपड़ों का पूरा खर्च सरकार उठाती थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक जुलाई को इस राशि को दस हजार रुपए तक सीमित कर दिया है।

एक अनुमान लगाया गया है जिससे पता चला है कि सशस्त्र बल के जवानों के लगभग 3,400 बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं। भारत सरकार ने इस व्यवस्था की शुरुआत 1971 की लड़ाई जीतने के बाद की थी। किरण खेर ने शहीदों के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा से जुड़ी पुरानी व्यवस्था पुन: बहाल करने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को शहीदों के परिवारों की रक्षा के लिए उसी तरह कदम उठाना चाहिए जिस प्रकार शहीदों ने देश की रक्षा के लिए कदम उठाए थे । उन्होंने कहा कि इससे केंद्र सरकार को कोई विशेष फायदा नहीं होगा और केवल पांच करोड़ रूपये ही वह बचा पाएगी लेकिन इससे शहीदों का बहुत बड़ा अपमान होगा। गौरतलब है कि खबरों के अनुसार, नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने भी पिछले दिनों रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर गुजारिश की थी कि देश के लिए जान गंवाने वाले शहीदों के बच्चों को मिलने वाली शिक्षा प्रतिपूर्ति को कम करने का जो फैसला लिया गया है, उसे वापस ले लिया जाए।

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