जयपुर। एन्टी करप्शन ब्यूरो ने गुरुवार को अलवर जिले में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए रिश्वतखोर अफसर को रंगें हाथों धरदबोचा। ब्यूरो की कार्रवाई के दौरान हत्थे चढ़ा रिश्वतखोर अफसर बीएल यादव इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में अपर आयकर आयुक्त के पद पर तैनात है। जो 3 करोड़ रुपए के एक एमओयू पर परिवादी को एक करोड़ रुपए की पैनल्टी में फंसाने की धमकी दे रहा था। अपर आयकर आयुक्त बीएल यादव ने मामले को रफा-दफा करने के लिए परिवादी से सौदेबाजी के रुप में 10 लाख रुपए की रकम नकद मांगी। बाद में यह सौदा 7 लाख रुपए में तय हुआ। साथ रकम अपने चैंबर में और चेक से लेने पर सहमति जताई। ब्यूरो की कार्रवाई के बाद आरोपी अफसर बीएल यादव कैमरे से बचने के लिए मुंह छिपाने की जुगत में ही लगे रहे। ऐसे में प्रदेश में यह मामला अनूठा भी रहा कि जहां अब रिश्वत चेक से भी स्वीकारी जा रही है। एसीबी अलवर ब्यूरो के उपाधीक्षक सालेह मोहम्मद ने बताया कि मामले में शिकायत परिवादी धनपत सिंह ने की। उसकी बीबीरानी में शर्मा मॉर्डन एज्युकेशन के नाम से सोसायटी है। इस सोसायटी की बीबीरानी में बीएड कॉलेज और एसटीसी कॉलेज भी चलती है। जो पार्टनरशिप में है। जून 2016 के बाद दोनों पार्टनर अलग-अलग हो गए। दोनों बीच एक इकरारनामा भी हो गया। जिसमें सोसाइटी के अधीन चलने वाली संस्थाओं को धनपतसिंह ने ले लिया। इस इकरारनामे की एक कॉपी अपर आयुक्त बीएल यादव के हाथ लग गई। उसने धनपत को धमकाना शुरू कर दिया। यादव नरे बार-बार फोन कर कहा कि आप को एक करोड़ की पैनल्टी लग जाएगी और जेल जाना पड़ेगा। इस तरह उसने धमकी देकर धनपतसिंह से 10 लाख रुपए की मांग की। शिकायत पर ब्यूरो ने सत्यापन कराया तो सही पाया गया। इस पर कार्रवाई को अंजाम दिया गया। गुरुवार को फिर एक बार अपर आयुक्त यादव ने परिवादी धनपत सिंह को फोन किया और कहा कि 2 घंटे में 7 लाख रुपए की व्यवस्था कर लो। जितनी राशि नगद मिल सके उतनी नकद दे दो बाकी राशि का चेक दे दो। इस पर धनपत 50,000 नगद और दो चेक लेकर गया। एक चेक में 3.5 लाख रुपए तथा दूसरे चेक में 3 लाख रुपए की रकम लिखी। चेक में नाम के आगे खाली था। धनपत ने राशि और चेक यादव को दे दिए। जिसो यादव ने अपनी टेबल के दराज में रख लिए। इशारा मिलते ही एसीबी टीम मौके पर पहुंची और दराज से राािश् व चेक बरामद कर यादव को गिरफ्तार कर लिया। ब्यूरो पहली बार रिश्वत की राशि चेक से लेने के मामले में हैरत में पड़ गया। जब यादव से पूछताछ की तो उसने बताया कि आमतौर पर चेक में किसी का नाम नहीं लिखवाता और उन चेक को अलग-अलग सोसायटी के खातों में जमा करा दिया जाता था। बाद में सोसायटी संचालकों से कैश ले लेता था। फिलहाल पुलिस यादव से मामले में ओर पूछताछ करने में जुटी हुई है।

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