जयपुर। जयपुर स्थित जवाहर कला केंद्र (जेकेके) का आज स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सुबह जेकेके लाॅन्स में आयोजित कार्यक्रम ‘माॅर्निंग रागाज़‘ में प्रो. सुमन यादव ने प्रातःकालीन रागांे की प्रस्तुति दी जबकि सायं 7 बजे रंगायन में अनुरूपा राॅय द्वारा निर्देशित नाटक ‘महाभारत‘ का मंचन किया गया। इस प्रस्तुति के माध्यम से अनेक प्रष्नों के उत्तर जानने का प्रयास किया गया, जैसे अगर इंसान मूल रूप से शांति चाहते हैं, तो फिर युद्ध क्यों होते हैं? क्या सच्चाई एवं न्याय की भावना मनुष्य को सर्वनाष की ओर ले जाती है? क्या महाभारत के पात्र युद्ध टाल सकते थे अथवा वे स्वयं विनाश के जिम्मेदार हैं? नाटक में मानव में निहित कभी ना समाप्त होने वाले विरोधाभास को दर्शाता गया। यह प्रस्तुति कठपुतलियों, मुखौटों, छाया कठपुतलियों जैसी विविध सामग्रियों का उपयोग करके तैयार की गई।
नाटक में महाभारत को प्रभावषाली कहानी के रूप में प्रदर्षित किया गया जो कि गत हजारों वर्षों में तोगालू गोम्बेयट्टा की सिल्लाकेयाटा महाभारत के गीतों के माध्यम से विकसित हुई है। समसामयिक कठपुतलियों के माध्यम प्रस्तुत यह नाटक वर्तमान विष्व में बढ़ते ध्रुवीकरण के संघर्षों पर चलते अत्यंत प्रासंगिक है।
प्रस्तुति में आंतरिक दुविधा एवं उनकी व्यक्तिगत खोज के लिए इस प्ले में 15 पात्रों की कथा को शामिल किया गया। नाटक के दौरान ये पात्र छोटे एवं बड़े संघर्षों के प्रतिमान बन जाते हैं, चाहे वह दुनिया की राजनीति हो या फिर परिवार की या समुदाय की। साथ ही वर्तमान में अनेक राजनीतिक, संस्थागत एवं सामाजिक स्थितियों की व्याख्या के लिए यह व्यापक रूपक के समान है। नाटक में विवेक कुमार, मोहम्मद शमीम, अनुरुपा रॉय, अविनाश कुमार और गुंडुराजू द्वारा अभिनय किया गया।

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