Case of taking Rs.2.50 crores of mustard pirai contracts: ACB introduced challan against GM and 7 brokers of Nafed

22 मई, 2005 को जब्त किये थे 1.40 करोड रुपए की नकदी
जयपुर। किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई 12 लाख टन सरसों की पिराई के लिए दिए गए ठेके में 2.50 करोड़ रुपए का घोटाला करने के मामले में 12 साल जांच कर आखिरकार एसीबी ने गुरुवार को नेफेड के तत्कालीन जी एम सुभाष सिंह और दलाल हरनीश जैन, गजेन्द्ग झा, प्रदीप पाटनी, प्रकाश मिश्रा, हेमंत काबरा, राजेश ख्ोरवाल और रमेश झालानी के खिलाफ भ्रष्टाचार मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 में जज बलजीत सिंह के समक्ष चालान पेश किया है।

 

मामले में जांच अधिकारी एएसपी नरेन्द्र सिंह ने दो आरोपियों दयालबाग-आगरा के राजवीर एवं मालवीय नगर-जयपुर के नरेन्द्र सिंह को क्लीन चिट दे दी है। एसीबी ने दोनों से दलाली के करीब 71 लाख रुपए की नकदी जब्त की थी। मामले में आरोपी प्रकाश, हेमन्त व राजेश को ही गत दिनों हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली है तथा अन्य को एसीबी ने 2005 में ही गिरफ्तार कर लिया था। चालान में कहा गया है कि नेफेड ने सरसों कृसिंग एवं प्रोसेसिंग करवाने के लिए 23 अप्रेल, 2005 में टेंडर मांगे थे। जिसमें अनियमितता कर मंहगी दरों पर 52 मीलों को टेंडर दिए गए। मीलों में लेब एवं केमिस्ट भी नहीं थ्ो। जी एम सुभाष सिंह ने दलालों के मार्फत प्रति मिल मालिकों से 4-4 लाख रुपए घूस के प्राप्त किये थ्ो। मिलीभगत कर टेंडर देने में करीब ढाई करोड़ रुपए का घोटाला किया गया था। प्रकरण में 22 मई, 2005 को एसीबी ने मुकदमा दर्ज किया था।

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