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नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) के प्रबंध निदेशक दीनबंधु महापात्रा ने कहा कि बैंक ने फंसे ऋण में सुधार के लिए आक्रामक रणनीति तैयार की है। बैंक को उम्मीद है कि वह जल्दी ही रिजर्व बैंक की निगरानी सूची से बाहर हो जाएगा। रिजर्व बैंक ने मार्च 2017 में खातों की जांच के बाद बैंक ऑफ इंडिया के कुछ खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में परिवर्तित कर दिया था तथा बैंक को निगरानी सूची में शामिल कर दिया था। इससे बैंक के मुनाफे पर असर पड़ा था।

महापात्रा ने कहा, ‘‘सौभाग्य से रिजर्व बैंक द्वारा एनपीए करार दिये गये ऋण का 70 प्रतिशत अन्य बैंकों द्वारा जारी ऋणपत्र के आधार पर था। इसका मतलब हुआ कि इसकी जिम्मेदारी कर्जधारक की नहीं होकर उन बैंकों की है। हमें बस उन बैंकों से ऋणपत्रों के बदले में भुगतान वापस लेना है। हम इस तरह से पहले ही दो हजार करोड़ रुपये वापस पा चुके हैं।’’ हालांकि उन्होंने कुल फंसे ऋण का खुलासा नहीं किया।

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