jaipur. आज विजय दिवस है। गौरवशाली स्वर्णिम दिन। आज के दिन ही भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से ना केवल शिकस्त दी थी, बल्कि एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। भारतीय जवानों के अदम्य साहस से यह संभव हुआ और दुनिया में एक नए राष्ट्र का आगाज हुआ और पाकिस्तान का विभाजन। भारतीय सेना ने इसी दिन पचास साल पहले पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई थी। भारतीय सेना ने 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के 93 हजार से अधिक सैनिकों को समर्पण पर मजबूर कर दिया था।

दुनिया में यह पहला मौका था इतनी बड़ी तादाद में सैनिकों ने कुछ ही दिनों में अपने हथियार भारतीय सेना के जवानों के सामने डाल दिए थे। इसके साथ ही सालों से पूर्वी पाकिस्तान की तानाशाह सरकारों और पाकिस्तानी सेना का जुल्म सह रहे पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों को मुक्ति मिल पाई थी। पाकिस्तानी की हार से बांग्लादेश नया राष्ट्र बना, साथ ही पूरी दुनिया में भारतीय सेना के साहस और जज्बे को सराहा गया। इस जीत से भारतीय सेना की धाक दुनिया में जम गई। युद्ध में भारतीय सेना के तीनों अंगों वायुसेना, थलसेना और नौ-सेना ने दुश्मन सेना के हर मोर्चे को ना केवल ध्वस्त कर दिया, बल्कि अमरीकी टैंकों, युद्धपोतों को नेस्तनाबूद कर दिया। पाकिस्तान की हार से एक तरह से अमरीकी और उसकी सेना को भी धक्का लगा। अमरीकी टैंक व युद्धपोत भारतीय सेना के टैंकों के सामने टिक नहीं पाए और ना ही दूसरे हथियार।

वहीं हिन्द महासागर में आ डटे अमरीकी युद्धपोतों के आगे भी भारत सरकार और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नहीं डरी। इंदिरा गांधी आयरन लेडी के नाम से दुनिया में फेमस हुई। इस हार के बाद पाकिस्तान ने फिर कभी भारत से सीधे तौर पर आक्रमण नहीं किया। लेकिन वह अपनी नापाक करतूत से बाज नहीं आता है। आतंकी हमले करके या सीमा पर अकारण गोलीबारी करता है, जिसका भारतीय सेना मुंहतोड जवाब भी देती है। यह सब भारतीय सेना और जवानों के साहस से संभव हुआ। पहले और आज हम सिर्फ भारतीय सेना व जवानों की वजह से सुरक्षित है। भारतीय सीमाओं पर तो जवान हमारी रक्षा करते हैं। देश के अंदर सक्रिय आतंकी संगठनों, नक्सली संगठनों के खिलाफ भी भारतीय सेना लड़ती है और हमें सुरक्षा देती है। जवानों के इसी साहस के चलते भारतीय सेना आज देश के पांच प्रमुख देशों की सेनाओं में शुमार है। दुनिया के अशांत देशों में भी भारतीय सेना ने शांति अभियान चलाकर शांति स्थापित की है। अपने प्राणों की परवाह किए बिना जवान देश और देशवासियों की रक्षा कर रहे हैं। सेना हैं तो हम और हमारा देश है। आइये हम सभी भी युद्ध में शहीद हुए देश के जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि दें। यह संकल्प भी लें, जब देश व भारतीय सेना को हमारी जरुरत पड़े तो हम भी कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दे।

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