नई दिल्ली। पाकिस्तान की लगातार बढ़ती जनसंख्या अब उसके लिए एक नई मुसीबत बनती जा रही है। वहीं 3 शख्स ऐसे भी हैं जो 100 बच्चों के पिता होने के साथ ही यह बात बड़े गर्व से कहते हैं कि अल्लाह ही उनकी जरुरतें पूरी कर देगा। बता दें वर्ष 1998 में पाकिस्तान की जनसंख्या 13.5 करोड़ थी। अब 19 साल बाद कराई गई जनसंख्या के आंकड़े जुलाई माह में आने को है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जनसंख्या का यह आंकड़ा बढ़कर 20 करोड़ तक पहुंच जाएगी। वैसे सरकारी आंकड़ों को देखे तो दक्षिण एशिया में पाकिस्तान ही एक ऐसा देश है जाहां की जन्मदर सबसे अधिक है। यहां हर एक महिला पर 3 बच्चे हैं। बढ़ती जनसंख्या उसके आर्थिक तंत्र के साथ सामाजिक तंत्र को भी प्रभावित कर रही है।

-36 बच्चे फिर भी फैमिली प्लॉनिंग से परहेज
पाकिस्तान के कबालयी इलाके बन्नू निवासी गुलजान खान (57) के परिवार में 36 बच्चे हैं। वह फैमिली प्लॉनिंग से पूरी तरह परहेज ही करता है। गुलजार का कहना है कि अल्लाह ने पूरी दुनिया और इंसानों को बनाया है। अब मैं बच्चा पैदा करने की प्राकृतिक प्रक्रिया को आखिर क्यों रोकूं? हम तो मजबूत होना चाहते हैं। परिवार में बच्चों का कुनबा है तो अब क्रिकेट मैच खेलने के लिए उनके बच्चों को दोस्त तलाशने की जरुरत भी नहीं है। गुलजार की तीसरी पत्नी अभी गर्भवती है। गुलजार की जो सोच है उसकी के अनुरुप वहां अन्य लोगों की भी उससे मिलती जुलती है।

-पोते-पोती गिन नहीं सकते
गुलजार के बड़े भाई मस्तान खान वजीर (70) की भी तीन पत्नियां हैं। उसके कुल 22 बच्चे हैं। जबकि परिवार में पोते पोतियों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई हैं कि उनको एकाएक गिना भी नहीं जा सकता है। मस्तान कहते हैं कि अल्लाह ने वादा किया है कि वह खाना और अन्य संसाधन देंगे, लेकिन लोगों का भरोसा कम है। इसी तरह ब्लूचिस्तान के क्वेटा निवासी जान मोहम्मद के परिवार में 38 बच्चे हैं। इसके उपरांत भी वे चौथी शादी करना चाहता हैं। इसके पीछे उनका मकसद है कि वे यह चाहते हैं कि उनके यहां कुल 100 बच्चे हो। जितने ज्यादा मुस्लिम होंगे दुश्मनों का खतरा नहीं होगा और दुश्मन उनसे डरेगा। हालांकि कोई भी महिला उनसे विवाह को तैयार नहीं है फिर भी जान मोहम्मद हार नहीं मान रहे हैं।

-बढऩा पड़ा विकास का बजट
पाकिस्तान में अर्थव्यवस्था इस दशक में तेजी से बढ़ी है और गत माह ही पाकिस्तान को अपना विकास मद में बजट 40 प्रतिशत की वृद्धि करनी पड़ी। हालांकि पर्यवेक्षक उसे आगाह करते हुए कह रहे हैं कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या उनकी प्रगति में बाधक है।

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