रावतभाटा. गवर्नमेंट हॉस्पिटल के डॉक्टर पर आरोप है कि उसकी लिखी गई आई ड्रॉप से डेढ़ साल की बच्ची की आंख बाहर आ गई। मासूम के पिता का कहना है कि उसकी आंख खराब हो चुकी है और अब उसे निकालना पड़ेगा। इस घटना के बाद परिजनों ने हॉस्पिटल के बाहर हंगामा किया। पिता ने रोते हुए डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि मेरी बच्ची को मार दिया है। मामला चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा का है। यहां के बाडोलिया के रहने वाला गिरिराज 12 सितंबर को अपनी डेढ़ साल की बेटी स्नेहा का इलाज कराने उप जिला अस्पताल गया था। उसका कहना है कि बच्ची की आंख में इंफेक्शन था और बुखार आ रहा था। उसने आरोप लगाया कि यहां मौजूद महिला डॉक्टर नीतू लाहोटी ने बच्ची की जांच किए बिना ही पर्ची पर बुखार की दवा और आंख में डालने के लिए ड्रॉप लिख दी। परिजनों ने बताया कि महिला डॉक्टर के बताए अनुसार सुबह, दोपहर और रात को बच्ची की आंख में ड्रॉप डाली। हर बार ड्रॉप डालने के बाद बच्ची घंटों तक दर्द से बिलखती थी, लेकिन हमें लगा कि दवा असर कर रही है। इसलिए दर्द हो रहा है। उसी रात 1 बजे तक बच्ची की आंख बाहर निकल आई। अगले दिन 13 सितंबर को परिजन बच्ची को दोबारा उपजिला अस्पताल लेकर गए, जहां ड्यूटी डॉक्टर ने उन्हें कोटा रेफर कर दिया। कोटा के एमबीएस (महाराव भीमसिंह) हॉस्पिटल पहुंचने पर डॉक्टर ने बताया कि बच्ची की आंख खराब होने की वजह से निकालनी पड़ेगी। जिस पर परिजनों के हाथ-पांव फूल गए और वे बच्ची को लेकर रावतभाटा लौट आए। बुधवार सुबह उपजिला अस्पताल गए जहां महिला डॉक्टर के छुट्टी पर होने की बात पता चली। इस पर परिजनों अस्पताल परिसर के बाहर हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान अस्पताल गेट के बाहर बच्ची का पिता फूट-फूट कर रो रहा था। उसके रिश्तेदार उसे चुप करवाने की कोशिश करते रहे। रोता हुए बच्ची के पिता ने थाने में जाकर कहा कि डॉक्टर ने मेरी बच्ची को मार दिया, थोड़ा जहर मुझे भी दे दो। उपजिला अस्पताल (रावतभाटा) की डॉ. नीतू लाहोटी ने कहा इलाज में लापरवाही जैसी कोई बात नहीं है। बच्ची को जो दवा लिखी वो बच्चों और बड़ों के लिए कॉमन है। रोजाना कई मरीजों को लिखी जाती है, यहां तक कि मैं और मेरे बच्चे भी इस दवा को इस्तेमाल करते है। जिस बच्ची को दिक्कत हुई उसे आई इंजरी या कोई दूसरा इंफेक्शन रहा होगा।
उपजिला अस्पताल (रावतभाटा) के डॉ. मनोज शृंगी ने कहा कि मंगलवार को परिजन बच्ची को लेकर मेरे पास आए थे। बच्ची की एक आंख का कॉर्निया फूला हुआ था। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे कोटा हायर सेंटर रेफर किया था। वहीं, मुख्य ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल जाटव ने बताया कि बच्ची की एक आंख बचने की कोई संभवना नजर नहीं आती। संक्रमण दूसरी आंख तक चला गया तो वो भी खराब हो सकती है। यहां तक कि दिमाग तक संक्रमण पहुंचने पर उसकी जान का खतरा भी हो सकता है। परिजनों का आरोप गलत है, लापरवाही जैसी कोई बात नहीं है। जो दवा बच्ची को दी गई, वो रोजाना दर्जनों मरीजों को दी जाती है। बच्ची की आंख खराब होने की वजह कोई दूसरी बीमारी है। वहीं, रावतभाटा के सीआई मदनलाल का है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है।

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