Sambhar lake

सांभरलेक में 100 करोड़ रुपयों के विकास कार्यों के बाद भी बदहाली, विकास कार्यों की जांच करेगी एजी-विजीलैंस टीम
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। सांभरलेक की विश्व प्रसिद्ध रामसर साइट, देवयानी मंदिर समेत अन्य प्राचीन धरोहरों पर भारत सरकार और राजस्थान सरकार ने एक सौ करोड़ रुपये खर्च किए। इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी विकास कार्य बदहाल होने लगे। चूना-पत्थर उखड़ गए। रौनक खत्म हो गई। करोड़ों रुपयों के खर्चे के बाद चमके प्राचीन सर्किट हाउस व बंगलों को सरकार ने निजी क्षेत्र में लीज पर दे डाले। यहीं नहीं कई ऐसे सेंटर बना दिए, जिन्हें बनाने व जीर्णोद्वार कार्यों के बाद ताले तक नहीं खुले और ना ही कोई पर्यटन गतिविधियां हो सकी। बताया जाता है कि गत पांच साल के दौरान भारत सरकार व राजस्थान सरकार ने करीब एक सौ करोड़ यहां खर्च किए। यह राशि खर्च करने के बाद भी सांभरलेक पर्यटन दृष्टि से आगे नहीं बढ़ पाया, बल्कि जो विकास कार्य हुए, वे भी पांच साल में उखडऩे लगे हैं। स्थानीय नागरिक, संस्थाओं ने विकास कार्यों में हुई गड़बडिय़ों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मुख्य सचिव, पर्यटन व पुरातत्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव को लिखित शिकायतें की है। लेकिन शिकायतों पर प्रभावी जांच और कार्यवाही नहीं हुई। जांच नहीं करके दोषी फर्मों व ठेकेदारों को बचा लिया गया। बताया जाता है कि खराब कार्यों की जानकारी होने के बाद भी ठेकेदारों से पुन: कार्य नहीं करवाए और ना ही उनकी जमा राशि को जब्त किया।
– 100 करोड़ कार्यों की होगी जांच
सांभरलेक में 100 करोड़ रुपयों के निरीक्षण और जांच के लिए राज्य की महालेखाकार व विजीलैंस टीम सोमवार से क्षेत्र का दौरा करेंगी। जहां जहां भी विकास कार्य हुए, उनकी जांच करेगी। स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से भी विकास कार्यों की जानकारी लेगी। बताया जाता है कि विकास कार्यों की लगातार शिकायतों को देखते हुए सरकार ने महालेखाकार टीम भेजी है।
– पर्यटन विभाग ने जांच टीम बनाई, लेकिन नतीजा सिफर
स्थानीय लोगों की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश दिए थे। पर्यटन विभाग ने जांच टीम बनाकर शिकायतों व विकास कार्यों की जांच करवाई थी। करीब तीन साल पहले यह जांच टीम बनी थी, लेकिन जांच टीम को सांभर साल्ट लिमिटेड व दूसरे सरकारी विभागों ने विकास कार्यों संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई। जांच टीम ने लीज पर दिए सर्किट हाउस, डाक बंगलों के बारे में भी सांभर साल्ट लिमिटेड से जानकारी मांगी थी, लेकिन कंपनी ने दस्तावेज तक नहीं दिए। लीज पर लेनी वाली फर्म और उसके कर्मचारियों द्वारा की जा रही मनमानी, वसूली, बदसूलकी को लेकर काफी शिकायतें स्थानीय प्रशासन, पुलिस और पर्यटन विभाग को है, लेकिन लीजकर्ता फर्म पर कोई एक्शन तक नहीं हो रहा है। फर्म की गतिविधियों को लेकर स्थानीय नागरिकों में काफी गुस्सा है।
– विधानसभा में उठा था मामला
सांभर लेक झील में लाखों प्रवासी पक्षियों की मौत को लेकर राजस्थान विधानसभा व मीडिया में काफी मामला उछला था। सदन में विधायकों ने पक्षियों की मौत के पीछे लीजकर्ता फर्म की गतिविधियों को जिम्मेदार बताते हुए आरोप लगाए गए थे।

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