Anandapal-encounter-case
जयपुर। सीबीआई ने राजस्थान के गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह एनकाउंटर की जांच की हामी भर दी है। राजस्थान सरकार की ओर से दुबारा भेजे गए सिफारिशी पत्र पर सीबीआई ने सहमति दे दी है। इस संबंध में राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव अशोक जैन को सीबीआई जांच का पत्र भेज दिया है। सरकार ने छह महीने पहले गैंगस्टर आनन्दपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिश पत्र भेजा था, लेकिन सीबीआई ने यह कहते हुए जांच से इंकार कर दिया था कि इस मामले में राजस्थान पुलिस और एसओजी सही अनुसंधान कर रही है। सीबीआई इस मामले की जांच नहीं कर सकती है। इस बारे में राजस्थान हाईकोर्ट में लिखित जवाब दे दिया था।
सीबीआई के इस जवाब को राजपूत समाज के संगठनों ने वादाखिलाफी बताते हुए फिर से आंदोलन की चेतावनी दी। समाज के नेताओं व संगठनों ने बैठकें भी शुरु कर दी। राजपूत समाज के फिर से उग्र होने के अंदेशे से सरकार ने फिर से केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की गुहार की, जिसे अब सीबीआई ने स्वीकार कर लिया है। सीबीआई जांच से आनन्दपाल के परिजनों व राजपूत समाज को राहत मिली है। वे लम्बे समय से सीबीआई जांच की गुहार कर रहे थे। हालांकि सीबीआई के इस फैसले से राजस्थान पुलिस और आनन्दपाल एनकाउंटर में शामिल एसओजी राजस्थान को झटका लगा है। सीबीआई जांच से एनकाउंटर टीम की मुश्किलें बढ़ सकती है। गौरतलब है कि 24 जून, 2017 को आनन्दपाल सिंह का चुरु के मालासर में एनकाउंटर कर दिया गया था।
आनन्दपाल के परिजनों और राजपूत समाज के नेताओं ने एसओजी राजस्थान और चुरु पुलिस के इस एनकाउंटर को फर्जी बताया था। इन्होंने विश्वास में लेकर आनन्दपाल का एनकाउंटर करने का आरोप लगाया था। जब सरकार ने मांगे नहीं मानी तो राजपूत समाज ने करीब तीन सप्ताह तक प्रदेश में उग्र आंदोलन किया। पूरे प्रदेश में धरने-प्रदर्शन होने लगे। सरकार के राजपूत मंत्रियों के कार्यक्रमों का बहिष्कार कर दिया गया। भाजपा और सरकार के खिलाफ अभियान चलने लगे।
सीबीआई जांच के लिए राजपूत समाज की सांवराद में हुई सभा में दो लाख से अधिक लोग पहुंचे, हालांकि सभा के बाद हुई हिंसा के बाद सरकार और पुलिस ने सख्ती दिखाई। दूसरे दिन आनन्दपाल के शव का दाह संस्कार करवाया गया, जिससे समाज में गुस्सा ज्यादा बढ़ गया। शेखावाटी, मारवाड़ व दूसरे जिलों में चल रहा आंदोलन जयपुर की तरफ कूच कर दिया गया। राजपूत समाज ने जयपुर में बड़ी रैली और चक्का जाम की घोषणा की तो सरकार को झुकना पड़ा। आंदोलनों से डरी सरकार ने राजपूत समाज के नेताओं से वार्ता करके सीबीआई जांच समेत अन्य मांगों पर सहमति जताई।

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