जयपुर। वेस्टइंडीज का दौरा भारत के लिए कुछ खास नहीं रहा भारत ने हालांकि सीरिज में 3-1 से जीत जरुर दर्ज की मगर वेस्टइंडीज जैसी कमजोर टीम के सामने जो की चैम्पियन्स ट्राफी तक में क्वालीफाई भी नहीं कर पाई थी उसके सामने भारत अपनी ख्याति के अनुसार नहीं खेल पाई। हालांकि बॉलिंग में भारत का प्रदर्शन फिर भी ठीक था मगर बैटिंग में अजिंक्या रहाणे को छोड़ कोई भी खिलाड़ी ख्याती के अनुरूप नहीं खेल पाया।

हालांकि आखिरी मैच में विराट शतक जरूर लगाया। यहां असल मुद्दा यह है कि भारत ने अपनी बैंच स्ट्रैंथ को आजमाने की जरुरत बिल्कुल भी नहीं समझी वही खिलाड़ी अंतिम 11 में खेले जो चैम्पियन्स ट्राफी में थे बॉलिंग में फिर भी फेरबदल किया गया मगर बल्लेबाजी में नए खिलाडिय़ों को कोई चांस नहीं दिया गया जिसमें ऋषभ पंत को चांस मिलने की सभी को आस थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि वेस्टइंडिज जैसी कमजोर टीम के सामने अगर नए खिलाडिय़ों को मौका नहीं मिलेगा तो फिर कब मिलेगा और जब उन्हें अंतिम ग्याराह में खिलाना ही नहीं था तो फिर उन्हें दौरे पर टीम के साथ ले जाने का फायदा भी क्या क्योंकि वल्र्डकप को अभी दो वर्ष है और उससे पहले भारत को अपनी बैंच स्ट्रैंथ परखनी होगी ताकि सही समय पर खिलाड़ी अपना प्रदर्शन कर सके और उनके दमखम का पता लग सके।

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