जयपुर। आनंदपाल एनकाउंटर के बाद उसके गिरफ्तार किए गए गुर्गों और उसके भाईयों विक्की और गट्टू एसओजी की पूछताछ में रोजाना नए-नए खुलासे कर रहे हैं। जिससे पता चलता है कि आनंदपाल का नेटवर्क कितना बड़ा था और किस सफाई से वह अपने काम को अंजाम देता था। ऐसा ही खुलासा हुआ है कि आनंदपाल सिंह, और उसका भाई विक्की और राजदार नंबर प्लेट बदल-बदल कर एक कॉल सेंटर संचालक के नाम पर खरीदी 2 कारों से फरारी काटी थी। आनंदपाल राजस्थान से बाहर जाया या लौटता तो उसके दूसरी कारें होती थी मगर राज्य में कॉल सेंटर संचालक के नाम पर खरीदी कारों से ही अपने ठिकानों पर आता-जाता था।

मालासर एनकाउंटर में जब्त कार और विक्की-गट्टू से पूछताछ के बाद यह खुलासा हुआ है। आनंदपाल के गुर्गे भरत शर्मा और वैभव के. सिंधू ने कॉल सेंटर संचालक को जैसलमेर में कंपनी में किराए पर कारें लगवाने और मोटी कमाई कराने का लालच देकर फांसा था। अब पुलिस और एसओजी भरत व वैभव के बारे ें जानकारी जुटा रही है। पुलिस ने बताया कि मूलत: पिलानी निवासी कुनाल कुमावत वैशालीनगर में पार्टनर वैभव के साथ कई साल से कॉल सेंटर चला रहा था। कुनाल हनुमान नगर एक्सटेंशन में और वैभव बनीपार्क में रहता था। दोनों में बिजनेस को लेकर विवाद हो गया। कुनाल का आरोप है कि 2-014 में भरत इंटरनेट कॉल कर भरत के बारे में बताया।

ऐसे रची साजिश
भरत ने कार खरदी कर किराये पर चलाने को कहा वैभव और भरत ने षडयंत्र रचकर उससे दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए और विभिन्न बैंकों से 12 लाख का फाइनेंस कराकर चूरू से तीन लग्जरी कारें खरीदी। लेकिन उसे न किराया मिला और न ही बैंक से नोटिस मिला तो कुनाल ने भरत को फोन किया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया और वैभव से भी संपर्क नहीं हुआ। तभी कुनाल को जवाहर सर्किल थाना क्षेत्र में अपने नाम खरीदी एक कार लावारिस मिलने का पता चला। तब खुलासा हुआ। गत वर्ष 13 सितंबर को कुनाल ने वैशाली थाने में वैभव और भरत के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

LEAVE A REPLY